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जर्मन सैनिकों में मनोघात के मामले बढ़े

१० नवम्बर २०१०

ट्रॉमा के कारण इलाज करवाने वाले जर्मन सैनिकों की संख्या रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है. जर्मनी द्वारा विदेशी तैनातियों की शुरुआत के बाद से पोस्ट ट्रॉमा स्ट्रेस डिसऑर्डर (पीटीएसडी) तेजी से बढ़ रही है.

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तस्वीर: AP

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार पीटीएसडी बीमारी का इलाज करवाने वाले सैनिकों की संख्या 2010 की पहली तीन तिमाहियों में 483 थी. यह संख्या पिछले पूरे साल इलाज करवाने वाले सैनिकों की संख्या से भी ज्यादा है.

Anschlag in Afghanistan am 5. September 2009
तस्वीर: AP

जर्मन सेना के ट्रॉमा सेंटर के आंकड़ों के अनुसार युद्ध क्षेत्र के अनुभवों के कारण मनोघात का शिकार होने वाले सैनिकों की संख्या पिछले सालों में लगातार बढ़ रही है. 2007 में पीटीएसडी के 149 मामले रजिस्टर किए गए थे तो 2008 में उनकी संख्या 245, 2009 में 466 और 2010 के पहले नौ महीनों में 483 रही.

ट्रॉमा सेंटर की रिपोर्ट के अनुसार इस साल मनोघात का शिकार होने वाले सैनिकों में 387 अफगानिस्तान में तैनात रहे हैं जबकि 28 ऐसे सैनिक हैं जो बाल्कान में तैनात थे. इनके अलावा 58 मामलों में इस बात का पता नहीं चला है कि ट्रॉमा की वजह क्या है.

सैनिकों की संस्था बुंडेसवेयर संघ के अध्यक्ष उलरिष किर्ष ने कहा है, "आत्मा से घायल सैनिकों की संख्या में वृद्धि आश्चर्यजनक नहीं है. आखिरकार बढ़ते पैमाने पर लड़ाई हो रही है. सैनिकों को न सिर्फ यह देखना पड़ता है कि उसका साथी घायल हो रहा है या मर रहा है, उसे खुद भी मारना पड़ रहा है."

उलरिष किर्ष ने शिकायत की है कि सेना मं पर्याप्त मनोचिकित्सक नहीं हैं. इस साल के आरंभ में 42 मनोचिकित्सकों में से सिर्फ 24 पद भरे हुए थे.

रिपोर्ट: एजेंसियां/महेश झा

संपादन: वी कुमार

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