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जलवायु परिवर्तन पर आया एक डांस फॉर्म

२ नवम्बर २०१७

दुनिया में जलवायु परिवर्तन के विषय में लिखा तो बहुत जा रहा है लेकिन अब पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरूक बनाने के लिए कोलकाता में एक खास डांस फॉर्म तैयार किया गया है. इस डांस को इकोनामा नाम दिया गया है.

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Indien Ekonama Tanz in Kalkutta
तस्वीर: Reuters/Sapphire Creations Dance Company/Samanwoy Bhattacharya

तस्वीर में नजर आ रहा यह डांस फॉर्म कोई आम डांस नहीं है, बल्कि एक खास उद्देश्य के साथ तैयार किया गया इकोनामा डांस फॉर्म है. इकोनामा का मकसद लोगों को जलवायु परिवर्तन के प्रति जागरूक और संवेदनशील बनाना है. डांस की शुरुआत तो कंटेम्परी से होती है लेकिन अंत तक यह एक अलग ही स्तर पर पहुंच जाता है. एक घंटे लंबे इस कार्यक्रम को तैयार करने वाले कलाकारों को उम्मीद है कि इसके नाटकीय हावभाव, ज्वलंत परिधान, और संगीत की रोचकता दर्शकों को जलवायु परिवर्तन पर आवाज उठाने के लिए मजबूर कर देगी.

इस डांस को तैयार करने वाली सैफायर क्रिएशन डांस कंपनी की सहनिदेशक प्रतिमा सिन्हा कहती हैं कि जहां आप दर्शकों से भावनात्मक प्रतिक्रिया की उम्मीद करते हैं, वहां यह डांस फॉर्म बेहद प्रभावशाली होता है. इसमें एक भारतीय आदिवासी समुदाय की जीवनशैली को पेश किया गया है. यह समुदाय अपनी रक्षा के लिए अलग-अलग तरह के दिखने वाले तमाम भगवानों पर भरोसा करते हैं. लेकिन एक दिन गांव में तूफान आता है और यहां के लोग जलवायु परिवर्तन के कारण उत्पन्न भीषण स्थितियों से जूझते नजर आते हैं. इस नृत्य में एक ऐसे भविष्य को दिखाया गया है जहां तूफान, सूखा, बाढ़ और प्रदूषण के चलते धरती पर बचे लोगों का जीवन अर्ध-नग्न जीवों के रूप में बदल जाता है. इनमें झगड़ा होता है और लोग भोजन, पानी और आश्रय के लिए एक दूसरे की हत्या करने लगते हैं.

इस कार्यक्रम से जुड़ी 22 साल की अनसुइया मित्रा कहती है, "पर्यावरण से जुड़े मसलों पर किताबों में थोड़ा बहुत पड़ने के बाद ही बोरियत महसूस होने लगती है लेकिन इसी विषय पर एक घंटे का लंबा डांस देखना ज्यादा बेहतर है."

सैफायर क्रिएशन के साथ जुड़ी मित्रा ने साल 2015 में माइक्रोसॉफ्ट से मिलने वाली एक फैलोशिप के दौरान इस डांस फॉर्म को तैयार करने के लिए काम भी किया है. यह फैलोशिप 18-25 साल की उम्र वाले कलाकारों को कोलकाता में पर्यावरण मुद्दों पर कला को अलग-अलग तरीकों से इस्तेमाल करने के लिए दी जाती है. मित्रा की टीम ने इसके पहले 15 मिनट का एक डांस इकोबूम तैयार किया था, जिसे इनकी टीम ने कोलकाता के आसपास के 16 विश्वविद्यालयों में पेश किया. सिन्हा कहती हैं कि इकोबूम की छोटी-छोटी सफलताओं ने कंपनी को लंबे डांस कार्यक्रम तैयार करने के लिए प्रेरित किया. इन लंबे कार्यक्रमों में म्यूजिक, डांस का अधिक ध्यान रखा गया है.  

इस दल से जुड़ी 20 साल की महाश्वेता भट्टाचार्य कहती हैं, "हम सभी कहीं न कहीं धरती को नुकसान पहुंचाने के लिए जिम्मेदार हैं. लेकिन अगर हम इस बात को नकारते रहे, तो भविष्य अच्छा नहीं होगा. जब हमने इकोनामा को देखा तो हम स्वयं को रोक नहीं पाये और इस तरफ कोशिशें शुरू कर दीं."

डांस कंपनी से जुड़े सुदर्शन चक्रवर्ती तुर्की, सिंगापुर, और कनाडा के कोरियाग्राफर्स के साथ काम कर चुके हैं और इस कार्यक्रम में उनका अनुभव साफ नजर आता है.

एए/आईबी (रॉयटर्स)