1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

जहां गांधीजी को शाकाहार की प्रेरणा मिली

४ अगस्त २०१०

ब्रिटेन की वेस्टमिनस्टर यूनिवर्सिटी में इंडिया मीडिया सेंटर ने एक अभियान शुरू किया है. इस क्रेंद्र का कहना है कि लंदन में उस रेस्टोरेंट के बाहर एक नीला बोर्ड लगाया जाए जहां महात्मा गांधी को शाकाहार की प्रेरणा मिली.

https://p.dw.com/p/ObIY
तस्वीर: AP

वो रेस्टोरेंट जहां गांधीजी ने शाकाहारी बनने की कसम खाई थी वहां अब कोई रेस्टोरेंट नहीं है लेकिन इंडिया मीडिया सेंटर की मांग है कि इस जगह पर एक नीले रंग का बोर्ड लगाया जाए ताकि लोगों को पता लग सके.

16. सेंट ब्राइड्स स्ट्रीट लंदन ईसी 4 वो जगह है जहां गांधीजी ने पहली बार शाकाहार के लिए प्रतिबद्ध होना तय किया. ये फैसला उन्होंने एचएस सॉल्ट की ए प्ली फॉर वेजिटेरियेनिजम यानि शाकाहार के लिए एक अपील पढ़ने के बाद किया. गांधीजी ने कहा है कि इस किताब के कारण शाकाहार से बहुत प्रभावित हुए.

ये जानकारी तब सामने आई जब 1891 में गांधी जी वेजिटेरियन सोसायटी में बातचीत वेस्टमिनस्टर के शोधार्थियों ने पढ़ी जिसमें साफ जाहिर होता है कि गांधीजी शाकाहार से कितने प्रभावित थे. शोधार्थी चाहते हैं कि लंदन शहर कॉर्पोरेशन उस इमारत के बाहर एक बोर्ड लगाएं.

Flash-Galerie Paprika
शाकाहारी बनने की प्रेरणातस्वीर: AP

विक्टोरियन काल में लंदन का ये रेस्टोरेंट शाकाहार का मुख्य केंद्र था और यहां उस समय के काफी मशहूर लोग आया करते थे जिनमें नाटककार जॉर्ज बर्नार्ड शॉ भी आते थे.

इंडिया मीडिया सेंटर के प्रवक्ता ने कहा, "अगर यहां किसी तरह का बोर्ड नहीं लगा होगा तो लोगों को इसके महत्व के बारे में कुछ भी पता नहीं चलेगा. वे नहीं जान सकेंगे कि यहां कितने बड़े बड़े लोग खाना खाने आते थे."

लंदन के नीले बोर्ड्स इंग्लिश हेरिटेज वाले बोर्ड से अलग हैं. ये बोर्ड चौकोर और गहरे नीले हैं जबकि हेरिटेज वाले बोर्ड अंडाकार हैं.

इंग्लैंड से जाते समय गांधी जी ने कहा था, "मुझे बहुत सारे लोगों ने अनावश्यक मुफ्त सलाह दी. उनका इरादा अच्छा था. उनमें से अधिकतर लोगों का कहना था कि इतने ठंडे मौसम में मैं बिना मीट के नहीं रह सकूंगा, मुझे टीबी हो जाएगा. दूसरों का कहना था कि मासांहार न भी लिया तो वाइन के बगैर तो मैं हिल भी नहीं सकूंगा. ठंड के कारण मैं सुन्न हो जाउंगा. जबकि एक ने तो सलाह दी कि मैं आठ बोतल विस्की ले जाऊं क्योंकि अदन की खाड़ी से आगे जाने के बाद मुझे उनकी जरूरत पड़ेगी."

वेस्टमिनस्टर की इस रिलीज में सामने आया कि गांधीजी ने कहा कि इंग्लैंड से हो कर गए डॉक्टरों ने भी मुझे इसी तरह की सलाह दी थी.

रिपोर्टः पीटीआई/आभा एम

संपादनः एम गोपालकृष्णन

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी