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जान जरूरी या किसानों की रोजी रोटी

६ नवम्बर २०१०

बर्ली तंबाकू पर रोक लगाने की अंतरराष्ट्रीय कोशिशों के बीच तंबाकू उद्योग का कहना है कि इससे अफ्रीका में 36 लाख तंबाकू मजदूरों की रोजीरोटी पर बन आएगी.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

तंबाकू नियंत्रण पर विश्व स्वास्थ्य संगठन की संधि पर हस्ताक्षर करने वाले 170 देश और यूरोपीय संघ इस महीने ऊरुग्वे में बर्ली पर रोक लगाने के प्रस्ताव पर विचार करेंगे. बर्ली का इस्तेमाल मार्लबोरो और लकी स्ट्राइक सिगरेट ब्रैंड्स में किया जाता है.

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तस्वीर: picture-alliance / ASA

यदि ऊरुग्वे की बैठक में बर्ली पर रोक लगाने का फैसला लिया जाता है तो उसके बाद सदस्य देशों को खुद फैसला लेना होगा कि क्या वे अमेरिकी ब्लेंड सिगरेटों पर प्रतिबंध लगाएंगे जिनमें बर्ली का इस्तेमाल होता है.

किसान ग्रुपों का कहना है कि बर्ली पर रोक लगाने का तंबाकू की इस फसल की मांग पर फौरी और भारी असर होगा. दक्षिणवर्ती अफ्रीका के कुछ देशों के लिए बर्ली की फसल महत्वपूर्ण है. मलावी की एक तिहाई अर्थव्यवस्था और दो तिहाई निर्यात तंबाकू पर निर्भर है. बर्ली की मांग समाप्त होने से वहां 700,000 किसान बेरोजगार हो जाएंगे और अर्थव्यवस्था में बीस फीसदी की कमी होगी. मोजांबिक में 100,000 ऊगांडा में 77 हजार और जिम्बाब्वे में 55 हजार किसान बेरोजगार हो जाएंगे.

इंटरनेशनल टोबैको ग्रोवर्स एसोसिएशन के अंतोनियो अब्रुंहोसा का कहना है, "दक्षिणवर्ती अफ्रीका के लिए यह प्रलय जैसा होगा." स्वाजीलैंड में हुए एक सम्मेलन में पूर्वी और दक्षिणवर्ती अफ्रीका के 19 देशों के साझा व्यापार संगठन कोमेसा ने बर्ली तंबाकू पर रोक के प्रस्ताव का विरोध किया था और कहा था कि वैकल्पिक फसल की विश्व स्वास्थ्य संगठन की सोच गलत संभावनाओं पर आधारित है.

भारत में भी तंबाकू महत्वपूर्ण व्यावसायिक फसल है. देश के विभिन्न मौसमी इलाकों में तंबाकुओं की अलग अलग किस्में उगाई जाती हैं जिनमें बर्ली भी है. बर्ली की फसल सिर्फ आंध्र प्रदेश में होती है और यह मुख्य रूप से निर्यात के लिए उगाई जाती है.

कनाडा और नॉर्वे बर्ली पर रोक के लिए दबाव डाल रहे हैं. उनका मानना है कि बर्ली पर रोक से सिगरेट रूखे हो जाएंगे और आकर्षण खो देंगे. इस कदम के जरिए वे सिगरेट पीने के कारण स्वास्थ्य सेवा पर पड़ने वाले बोझ को कम करना चाहते हैं.

व्यापक सिगरेट विरोधी अभियानों के कारण अमेरिका, जापान और पश्चिम यूरोप में सिगरेट की खपत घट रही है जबकि विकासशील देशों में उसका बढ़ना जारी है. स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि इसकी वजह से आनेवाले सालों में विकासशील देशों में कैंसर और दूसरी बीमारियों की संख्या बढ़ेगी.

विश्व स्वास्थ्य संगठन और विश्व लंग्स फाउंडेशन के अनुसार हर साल सिगरेट पीने से विश्व भर में 50 लाख लोगों की मौत होती है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/महेश झा

संपादन: एन रंजन

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