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'जाबूलानी' गेंद कुछ ज्यादा ही गोल है

३० जून २०१०

फीफा विश्व कप 2010 में इस्तेमाल की जा रही जाबूलानी गेंद ने विश्वभर से आई टीमों और उनके कोच की नाक में दम कर रखा है. वैज्ञानिकों का कहना है कि गेंद कुछ ज्यादा ही अच्छी है, इसलिए खिलाड़ी इससे ठीक तरह से खेल नहीं पा रहे.

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ज्यादा ही अच्छीतस्वीर: adidas

जानकार गेंद की आलोचना कर रहे हैं. खिलाड़ियों का कहना है कि जाबूलानी को जिधर मारो, वह उस ओर जाती नहीं है. गेंद से निशाना लगाना बेहद कठिन है. स्पेन के इकेर कासियास ने गेंद को 'सड़ा हुआ' बताया जब कि इटली के गोलकीपर बुफोन ने कहा कि गेंद किधर जाएगी इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है.

अब वैज्ञानिकों का कहना है कि जाबूलानी कुछ ज्यादा ही गोल है, जिसकी वजह से खिलाड़ी इससे ठीक तरह से नहीं खेल पा रहे हैं. फ्रांस में गति का विश्लेषण कर रहे वैज्ञानिक एरिक बेर्तों का कहना है कि जाबूलानी को अंदर से सिला गया है. इस वजह से गेंद बिलकुल गोल है. टेनिस, गोल्फ या बेसबॉल के गेंदों में जानबूझकर असमानताएं लाई जाती हैं ताकि उनकी गति का पूर्वानुमान सही तरीके से किया जा सके. जाबूलानी की बात अलग है. बेर्तों के मुताबिक गेंद के आकार की वजह से वह बहुत कम समय के लिए पैरों के संपर्क में आती है. मतलब गेंद स्पिन नहीं करती और अनुमान से कम दूरी तक जाती है.

NO FLASH Nicht gezähltes Tor England gegen Deutschland
गेंद को आंकना मुश्किलतस्वीर: AP

जापान के यामागाता और ताकेशी आसाई विश्वविद्यालय के कासूया सेओ के नतीजे भी कुछ ऐसे ही हैं. उनके मुताबिक गेंद अचानक बीच हवा में धीमी हो जाती है. वहीं ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिक डेरेक लाइनवेबर ने गेंद पर कुछ कंप्यूटर टेस्ट किए. इनसे पता चला कि गेंद बाकी गेंदों के मुकाबले तेज है और इसकी गति और इसकी दिशा को आंका नहीं जा सकता.

गेंद के निर्माता एडीडास ने हालांकि गेंद का बचाव किया है और कहा है कि फीफा के पास गेंद को लेकर बहुत कड़े नियम हैं और गेंद को इन नियमों के मुताबिक बनाया गया है.

जुलू भाषा में जाबूलानी का मतलब है 'खुशी मनाना'. लेकिन असल बात तो यह है कि गेंद को लेकर कई खिलाड़ी दुखी हो गए हैं.

रिपोर्टः एएफपी/ एम गोपालकृष्णन

संपादनः एन रंजन