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जारी है ताकत का दिखावा

२७ अप्रैल २०१३

चाहे तानाशाह हों, राजगद्दी पर बैठे शासक या फिर नेता. सभी को अपना प्रचार अच्छा लगता है. इसके पीछे सिर्फ घमंड नहीं बल्कि राजनीतिक संदेश भी होते हैं. हैम्बर्ग का एक रिसर्च सेंटर इन संदेशों पर शोध कर रहा है.

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तस्वीर: imago/teutopress

भीड़ में खड़े, मुस्कुराते चांसलर, अनजान लोगों से घिरे. इस कद्दावर नेता के साथ दूर दूर तक न कोई बॉडीगार्ड है, न ही राजनीतिक पार्टी का नाम, न कोई नारा न कोई स्लोगन. जर्मनी में 1994 के संसदीय चुनावों में सीडीयू पार्टी ने सब कुछ हेल्मुट कोल की लोकप्रियता पर छोड़ दिया था.

हैम्बर्ग में पोलिटिकल आइकोनोग्राफी शोध संस्थान की कला इतिहासकार एलिजाबेथ फॉन हागेनाऊ कहती हैं, "एक असामान्य चुनावी पोस्टर". वह राजनीतिक घटनाओं और नेताओं के विजुअल प्रचार का विश्लेषण करती हैं. हागेनाऊ के मुताबिक, "कोल एक नग्न शासक जैसे दिखाई देते हैं जिन्हें सुरक्षा के लिए किसी सहायक या बॉडीगार्ड की जरूरत नहीं. वह खुद को जनता के बीच में रख देते थे और जनता उन्हें इतना पसंद करती है कि उन्हें डरने की कोई जरूरत ही नहीं." 

Postkarte Adolf Hitler
1933 में अडॉल्फ हिटलर का पोस्टकार्डतस्वीर: Ullstein/Süddeutsche Zeitung Photo/Scherl

राजनीति पर नजर

हैम्बर्ग के शोध संस्थान में जमा तीन लाख चित्रों में से कोल का पोस्टर सिर्फ एक उदाहरण है. 1991 से हागेनाऊ और उनके साथी राजनीति से जुड़े पोस्टरों और विजुअल का संकलन और विश्लेषण करने में लगे हुए हैं. राजनीतिक दुनिया का एक विजुअल एनसाइक्लोपीडिया यहां तैयार हो गया है. इससे जानकारी मिलती है कि पोस्टर, पोस्टकार्ड और पेटिंग्स में नेता कैसे पेश किए जाते हैं. इससे भी अहम कि इनके पीछे कौन सा संदेश है, कौन से न्यूज फोटो, विज्ञापन, किस सभा के फोटो, किस शिखरवार्ता या गठबंधन के फोटो इन पोस्टरों में इस्तेमाल किए गए हैं.

ये फोटो राजनीतिक कीवर्ड्स के आधार पर रखे गए हैं. इसमें कला और कला इतिहास से लेकर आदिकाल से वर्तमान तक के सभी फोटो शामिल हैं. इतना ही नहीं इस संकलन में मूर्तियां, पेंटिंग, डाक टिकट, अखबार के कार्टून भी जमा हैं. इनमें से कई दस्तावेज स्कैन किए गए हैं और मल्टीमीडिया आर्काइव के तहत ऑनलाइन देखे जा सकते हैं. आडोल्फ हिटलर नाम के तहत 1933 से 1945 के बीच के पोस्टर संकलित किए गए हैं, जिसमें तानाशाह को कई भूमिकाओं और पोज में दिखाया गया है ताकि दिखाई दे कि वह लोगों से कितना जुड़ा हुआ था.

यादों में

हैम्बर्ग के अमीर हार्वेस्टेहूडे इलाके में पोलिटिकल आइकनोग्राफी संस्थान है. यहां काम कर रहे कला इतिहासकार मार्टिन वार्न्के पूछते हैं, "राजनीतिक प्रणाली खुद को कैसे दिखाती है या फिर लोकतंत्र, तानाशाही, राजशाही खुद को कैसे पेश करती हैं." या फिर सत्ताधारी नेता और उससे जुड़े राजनीतिक लोग लोगों को प्रभावित करने और लक्ष्य पाने के लिए किस तरीके या मीडिया का इस्तेमाल करते हैं.

USA Osama bin Laden Operation Obama und Clinton im Situation Room
बिन लादेन की धर पकड़ देखते बराक ओबामातस्वीर: The White House/Pete Souza/Getty Images

वार्न्के कहते हैं कि राजनीतिक प्रभाव सिर्फ लिखित अनुबंध, पैम्फलेट या किताबों में दिखाई नहीं देता बल्कि कार्यक्रमों और उत्सवों में, बगीचों और सिनेमा सब जगह दिखाई देता है, चित्रों और मूर्तियों में भी. इसी संबंध का विश्लेषण वार्न्के और उनके साथी करते हैं. "आप देख सकते हैं कि कैसे लोगों ने अराजकता को चित्रों में दिखाया था, या फिर कैसे लोकतंत्र और समाजवाद की लोगों ने चित्रों के जरिए पैरवी की या उसके लिए लड़ाई की."

मुद्दा यह है कि कैसे कला में राजनीति या सामाजिक ताकत दिखाई जाती है." हागेनाऊ उदाहरण देती हैं, "मध्यकाल में राजा अपना किला पहाड़ों पर बनवाते थे. इस आर्किटेक्चर के सहारे वे दिखाना चाहते थे कि मैं इस पूरे इलाके पर राज करता हूं."

चित्रों की ताकत

आज पहाड़ियों की ताकत काम नहीं करती बल्कि तस्वीरों की ताकत का जमाना है. अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा का अपने साथियों के साथ का मशहूर फोटो जिसमें वह उपराष्ट्रपति जो बाइडेन और तत्कालीन विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन के साथ बैठे हैं. इसमें शामिल सभी लोगों के चेहरों पर एक तनाव है और वो सभी टीवी की ओर टकटकी लगाए बैठे हैं और ओसामा बिन लादेन को पकड़ने के अभियान पर ध्यान लगाए हैं. बाद में यह फोटो पूरी दुनिया में पहले पेज पर छपा. वार्न्के के लिए इस चित्र का मतलब है, "मेरे सबसे अच्छे सहयोगियों ने मुझे सलाह दी. मैं अपनी जनता के लिए सबसे अच्छा चाहता हूं."

Männer laufen an einem Poster des Saddam Art Center in Bagdad vorbei, das Staatspräsident Saddam Hussein in kriegerischer Pose sowie die Al-Aksa-Moschee in Jerusalem zeigt - 13.11.2002 AP ! Gesperrt-für-politische-Werbung - 13.11.2002 Gesperrt für politische Werbung Freigegeben für die Länder: Schweiz, Deutschland, Österreich Freigegeben für die Ländergruppen: Osteuropa und die Nachfolgestaaten der ehemaligen Sowjetunion
सद्दाम हुसैन का पोस्टरतस्वीर: ullstein

इन सभी पोस्टरों का संकलन करने के लिए कंप्यूटरों की भी मदद ली जा रही है ताकि चित्रों और लेखों को अच्छी तरह रखा जा सके. राजनीतिक संदेश का अच्छा उदाहरण है सद्दाम हुसैन का 2002 की तस्लवीर जो बगदाद में सद्दाम आर्ट सेंटर में लगी थी. वार्न्के कहते हैं," राजनीतिक संदेश को पोस्टर पर तस्वीर के जरिए व्यक्त करने की क्लासिकल मिसाल और तस्वीरों के राजनीतिक इस्तेमाल की भी मिसाल."

मार्टिन वार्न्के कहते हैं कि जब ताकत के दिखावे की बात आती है तो कद्दावर नेता भी अपने को इस्तेमाल होने देते हैं. "सालों तक शासकों को हरक्यूलस, यीशू या जुपिटर की तरह दिखाया जाता था. उनसे उम्मीद की जाती कि वह हरक्यूलस की तरह खड़े रहें. यह लोगों ने उन पर थोप दिया था."

वार्न्के को लगता है कि टीवी लगातार उथला होता जा रहा है. इसके लिए एक शब्द है इन्फोटेनमेंट. यानी जानकारी और मनोरंजन का मिक्स. वह लगातार यह रुझान भी देखते हैं कि मीडिया अपने विचार और मानदंड लोगों पर थोप रहा है. मीडिया के बाहर की हकीकत को नजरअंदाज किया जा रहा है. ऐसा जैसे की जो टीवी में नहीं होता वह हकीकत में भी मौजूद नहीं.

रिपोर्ट: बिरगिट गौएर्त्स/आभा मोंढे

संपादन: महेश झा

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