1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

जासूसी से बचाना सरकार की जिम्मेदारी

२३ मई २०१४

एनएसए मामले में अमेरिका पर कई उंगलियां उठीं. पर जर्मनी में संविधान विशेषज्ञों का कहना है कि चूक जर्मन सरकार से भी हुई है क्योंकि नागरिकों की सुरक्षा सरकार की ही जिम्मेदारी होती है.

https://p.dw.com/p/1C4jo
तस्वीर: imago/mm images/peoplestock

जर्मनी में कानूनी जानकार अब सरकार के खिलाफ बोल रहे हैं. जर्मनी की संवैधानिक अदालत के पूर्व अध्यक्ष हंस युर्गेन पापियर का कहना है कि जासूसी को रोक पाने में नाकामी दिखाता है कि सरकार अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा पाई है. उन्होंने कहा कि लोगों को सटीक और सुरक्षित आधारभूत संरचना मुहैया कराना सरकार का काम है.

हालांकि पापियर ने इस बात पर भी जोर दिया कि किसी भी विदेशी खुफिया एजेंसी को जर्मनी में लोगों पर नजर रखने का कोई हक नहीं है. उनके अनुसार जैसे ही एनएसए मामले के बारे में जानकारी मिलनी शुरू हुई, सरकार का फर्ज बनता था कि वह इसमें हस्तक्षेप करे. पापियर ने जर्मनी की खुफिया एजेंसी बीएनडी की भी आलोचना की और कहा कि उन्हें इस बारे में पता होना चाहिए था.

अमेरिका की खुफिया एजेंसी एनएसए इंटरनेट में जर्मनी के आम नागरिकों की गतिविधियों पर भी नजर रख रही है. इस बारे में पिछले साल तब पता चला जब एडवर्ड स्नोडन ने एजेंसी के दस्तावेज लीक किए. इसके अनुसार टांसलर अंगेला मैर्केल के मोबाइल फोन पर भी नजर रखी गई. अब एक संसदीय जांच समिति पता लगा रही है कि चूक कहां हुई और अमेरिका के पास क्या क्या जानकारी है.

पापियर का कहना है कि एनएसए और अन्य खुफिया एजेंसियों ने जिस तरह से देश भर का डाटा जमा किया है, वह जर्मनी और यूरोपीय संघ के कानूनों का उल्लंघन हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि जर्मनी के संविधान के अनुसार विदेश में रहने वाले जर्मन नागरिकों की सुरक्षा भी सरकार की जिम्मेदारी है.

पापियर की ही तरह संवैधानिक अदालत के जज रह चुके वोल्फगांग हॉफमन रीम भी सरकार की जिम्मेदारी की बात करते हैं. उन्होंने कहा कि अगर विदेशी ताकतें कानून तोड़ती हैं और किसी भी रूप में सुरक्षा में सेंध लगाती हैं, तो सरकार का काम है कि फौरन उसे रोका जाए. उन्होंने कहा कि इसी तरह से जर्मनी की खुफिया एजेंसी बीएनडी भी इन्हीं कानूनों के प्रति बाध्य है और उसे विदेश में लोगों की सुरक्षा के साथ खेलने का कोई हक नहीं है.

वहीं कानूनी मामलों के जानकार और मनहाइम यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर मथियास बेकर का कहना है कि बीएनडी के काम को ले कर पर्याप्त वैधानिक आधार की कमी है. कानून बीएनडी के काम की सीमा तय नहीं करता, इसलिए यह कहना मुश्किल है कि उसके लिए क्या सही है और क्या नहीं. वह चेतावनी देते हुए कहते हैं कि अगर बीएनडी भी वही सब कर रही है, जो आरोप विदेशी खुफिया एजेंसियों पर लग रहे हैं, तो एक संवैधानिक लोकतांत्रिक देश के लिए यह शर्म की बात होगी.

आईबी/एमजे (डीपीए)