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जीएसएलवी नाकाम, हवा में फटा रॉकेट

२५ दिसम्बर २०१०

भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान कार्यक्रम को बड़ा झटका लगा. टेलीकम्युनिकेशन सैटेलाइट्स को लेकर जा रहा क्रायोजेनिक इंजन GSLV-F06 लांच होने के कुछ ही देर बाद हवा में फटा. GSLV का यह तीसरा नाकाम प्रक्षेपण है.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

तकनीकी खामियों को दूर करने के बाद शनिवार को सतीश धवन स्पेस सेंटर श्रीहरिकोटा से जीएसएलवी-एफ06 के प्रक्षेपण के लिए उल्टी गिनती शुरू हुई. भारतीय समय के अनुसार चार बजकर चार मिनट पर पर रॉकेट के इंजन दहके और क्रायोजेनिक इंजन ने आकाश का रुख किया.

लेकिन 19 मिनट बाद ही कंप्यूटर स्क्रीन का सामने टिके वैज्ञानिकों के चेहरे पर चिंता दिखने लगी. रॉकेट सीधे एक पथ पर उड़ान भरने के बजाए डगमगाने लगा. थोड़ी ही देर बाद रॉकेट में धमाका हुआ और धुएं की रेखा छोड़ता हुआ GSLV-F06 बंगाल की खाड़ी की ओर गिर गया.

15 अप्रैल 2010 को भी जीएसएलवी का प्रक्षेपण नाकाम रहा था. उसमें भारतीय क्रायोजेनिक इंजन लगाया था. उस नाकामी के बाद GSLV-F06 में रूसी इंजन लगाया गया. प्रक्षेपण से पहले ही इस रॉकेट में भी कुछ दिक्कतें सामने आईं. फ्यूल लीकेज के चलते इसके लांच को टाला जा चुका था.

इस असफलता के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान एजेंसी, इसरो में मातम का माहौल है. GSLV-F06 में करीब 125 करोड़ रुपये की टेलीकम्युनिकेशन सैटेलाइट्स भी थीं. ये टेलीविजन प्रसारण को बेहतर करने के इरादे से लांच की जा रही थीं, सैटेलाइट्स को अंतरिक्ष में स्थापित किया जाना था. लेकिन रॉकेट की नाकामी के चलते सैटेलाइट्स भी बर्बाद हो गए हैं.

इस असफल प्रक्षेपण के बाद इसरो जीएसएलवी रॉकेट को लेकर दवाब में आ गया है. इस रॉकेट के सात में दो ही प्रक्षेपण पूरी तरह सफल साबित हुए हैं. इसरो का कहना है कि चार बार जीएसएलवी की लांचिंग सफल रही, लेकिन स्वतंत्र पर्यवेक्षक कहते हैं कि दो प्रयास या तो नाकाम रहे या उनमें हल्की सी ही सफलता मिली है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह

संपादन: एस गौड़

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