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जीत के साथ खत्म हुआ चिली का अभियान

१४ अक्टूबर २०१०

चिली की खदानों में दो महीने से ज्यादा वक्त तक जमीन से सैकड़ों मीटर नीचे फंसे रहे 33 खनिक जैसे दोबारा जी उठे हैं. पहले खनिक के निकलना शुरू होने के 22 घंटे 36 मिनट और 24 सेकेंड्स बाद समूह के लीडर लुई उरजुआ बाहर आए.

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लुई उरजुआ के बाहर निकलते ही झूमे सबतस्वीर: AP

जैसे ही 54 साल के उरजुआ को लेकर आया कैपसूल नजर आया पूरा चिली खुशी से झूम उठा. उरजुआ शिफ्ट सुपरवाइजर थे और उन्होंने सभी खनिकों को भेजकर आखिर में आने का फैसला किया. जब पहले 17 दिन तक यह पता नहीं था कि फंसे हुए वे लोग जिंदा हैं या नहीं, तब उरजुआ ही अंदर सारा प्रबंध देख रहे थे. उन्होंने ही तय किया कौन क्या काम करेगा, दिन में कितना खाना बनेगा, किसे क्या मिलेगा वगैरह.

Chile / Bergarbeiter / Rettung
तस्वीर: AP

जब उरजुआ बाहर आए तो चिली के राष्ट्रपति सेबास्टियन पिन्येरा ने उनसे कहा कि आप एक अच्छे कप्तान साबित हुए. उरजुआ ने राष्ट्रपति से कहा, "मैं उम्मीद करता हूं कि दोबारा ऐसा कभी न हो. पूरे चिली को धन्यवाद."

इसके बाद उरजुआ, पिन्येरा, वहां मौजूद हर राहतकर्मी और खनिकों के परिवार वालों ने राष्ट्रगान गाया. यह दुनिया के सबसे मुश्किल और लंबे बचाव अभियानों में से एक की सफलता का संकेत था. ये खनिक 5 अगस्त को इस खान के गिर जाने पर जमीन से करीब 650 मीटर नीचे फंस गए थे. 17 दिन तक उनका कुछ अता पता न चला. जमीन के ऊपर तो लोग मान ही चुके थे कि वे अब जिंदा नहीं हैं या इतनी दूर हैं कि उन्हें बचाया नहीं जा सकता. लेकिन बाहर से ड्रिल कर लगातार उन्हें खोजा जा रहा था, और 17वें दिन एक ड्रिल उन तक पहुंच ही गई. तब इन खनिकों ने एक कागज पर लिखकर भेजा, "हम सभी 33 लोग सुरक्षित हैं और एक शेल्टर में हैं."

अभियान खत्म होने के बाद राष्ट्रपति पिन्येरा ने वही कागज उरजुआ को दिखाया. उरजुआ जब बाहर आए तो वह राष्ट्रीय झंडे में लिपटे हुए थे जिस पर उनके सभी साथियों के दस्तखत थे. उरजुआ ने बताया कि खनिकों को नीचे काफी मुश्किल वक्त बिताना पड़ा लेकिन आखिरकार वे बाहर आने में कामयाब हो ही गए. उन्होंने कहा, "हम अपने होश ओ हवास पर काबू रखने में कामयाब रहे."

चिली की स्वास्थ्य मंत्री खाइम मान्यालिक ने बताया कि सभी खनिकों की सेहत संतोषजनक से बेहतर है. सात लोगों को विशेष देखभाल की जरूरत है. एक व्यक्ति गंभीर न्यूमोनिया से पीड़ित है जबकि दो लोगों के दांत की सर्जरी करनी पड़ी है.

रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार

संपादनः महेश झा

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