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जेल में बुढ़ापा

१ मार्च २०१४

जर्मनी में आबादी की संरचना बदल रही है, उससे यहां के जेल भी अछूते नहीं हैं. जेल में कैदियों की औसत उम्र बढ़ रही है. सवाल यह है कि क्या कैदियों के प्रति बर्ताव में बदलाव की जरूरत है?

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तस्वीर: Reuters/Fabrizio Bensch

जर्मनी की जेलों में 60 से ज्यादा उम्र के कैदियों की संख्या लगातार बढ़ रही है. पिछले सालों में कुल कैदियों की संख्या घटी है, लेकिन 2003 से 2013 के बीच बुजुर्ग कैदियों की संख्या एक तिहाई से ज्यादा बढ़ गई है. यह संख्या समाज में बुजर्गों की बढ़की आबादी का प्रतिबिंब है या बूढ़े लोगों में अपराध की प्रवृति बढ़ रही है? बोखुम शहर के अपराध विशेषज्ञ मिषाएल एलेक्स का कहना है, "अमीरों और गरीबों के बीच बढ़ती खाई के कारण चोरी और धोखाधड़ी जैसे मामलों में पहले की तुलना में ज्यादा बूढ़े लोग शामिल हो रहे हैं."

एक और कारण यह है कि कैदी पहले से ज्यादा समय जेल में रहते हैं. 1998 तक गंभीर अपराध के मामलों में सजा काटे जाने के बाद अपराधियों को अधिकतम 10 साल तक सुरक्षा कैद में रखा जा सकता था. लेकिन यह सीमा बेल्जियम में दूत्रो कांड के बाद हटा ली गई है. मिषाएल अलेक्स कहते हैं कि गंभीर अपराधियों के सुरक्षा कैद के मामले तब से दोगुने हो गए हैं.

कैदियों की वेटिंग लिस्ट

बुजुर्ग कैदियों की बड़ी तादाद जेल प्रशासन के लिए नई चुनौतियां पैदा कर रही है. उनके इलाज पर युवा कैदियों की तुलना में अलग ध्यान देना होता है क्योंकि उनमें से कुछ डायबिटिज, डिमेंशिया या दिल की बीमारी के शिकार होते हैं. उनमें से कुछ की सेवा सुश्रुषा करनी पड़ती है. जेल में मृत्यु कोई अपवाद नहीं रहा है. हालांकि 1970 से ही जिंगेन में बुजुर्गों के लिए एक जेल है, लेकिन अब कुछ दूसरी जेलों में अधिकारियों ने जरूरी कदम उठाए हैं. डेटमोल्ड की जेल में सात साल पहले बुजुर्गों का विभाग खोला गया था, जहां रखे जाने की उम्र इस बीच 55 से बढ़ाकर 62 कर दी गई है. बीलेफेल्ड की जेल में भी ज्यादा उम्र के कैदियों का विभाग खोला गया है.

थोमस माउस जिंगेन की जेल के प्रमुख हैं. वहां कम से कम 15 महीने कैद की सजा पाने वाले 62 वर्ष से अधिक आयु के अभियुक्तों के लिए 48 सीटें हैं. माउस कहते हैं कि 1970 में कोई डेमोग्रैफिक बदलाव की बात नहीं कर रहा था. लेकिन उस समय भी पता था कि वृद्ध कैदियों की जरूरतों पर सामान्य जेल में ध्यान नहीं दिया जा सकता. शांति, निजता, कम मेहनत वाले काम या खास चिकित्सीय देखभाल. इसके अलावा बूढ़े कैदियों को अक्सर नौजवान कैदियों से डर लगता है.

जिंगेन में उनका साथ अपनी ही उम्र के और एक जैसी स्वास्थ्य समस्याओं वाले कैदियों से होता है. दूसरी जेलों की तरह इस जेल में भी रोजमर्रा काम, छुट्टी और आराम के समय में बंटा होता है. फुर्सत के समय बिताने के लिए यहां स्पोर्ट के अलावा याददाश्त की ट्रेनिंग या एर्गोथेरापी की संभावना होती है. माउस कहते हैं कि यह अतिरिक्त सुविधा नहीं बल्कि जरूरतों के अनुकूल है. जर्मनी की जेलों में कैदियों से ज्यादा जगह है, लेकिन जिंगेन में जितनी जगह है उससे ज्यादा मांग है. माउस कहते हैं, "इस बीच हमारे यहां वेटिंग लिस्ट है."

फिर अपराध का डर

एक बात साफ है कि जेलों में कैदियों की उम्र बढ़ना ऐसी रुझान है जो कभी पलटेगी नहीं. मिषाएल अलेक्स का कहना है कि बुजुर्ग कैदियों के अनुकूल अधिक जेल बनाने के अलावा जजों और सरकारी वकीलों के सामने भी चुनौती है. बुजुर्गों के मामले में सजा का एक हिस्सा निलंबित सजा के रूप में काटने का भी प्रावधान है. इसके अलावा बीमार कैदियों को जेल में इलाज की सुविधा न होने पर पैरोल पर छोड़ा जा सकता है. इसके अलावा कुछ मामलों में कैदियों को माफी भी दी जा सकती है.

अपराध विशेषज्ञ अलेक्स का कहना है कि जज डरने लगे हैं कि अपराधी फिर से अपराध कर सकते हैं और समाज सामाजिक नियमों को तोड़ने वालों के प्रति बेरहम हो गया है. उनके विचार में खासकर बूढ़े लोगों में फिर से अपराध करने की संभावना कम होती है. हैम्बर्ग में जेल मैनुअल में एक पैराग्राफ जोड़ा गया है जिसके अनुसार जल्द ही मौत की संभावना वाली बीमारियों वाले कैदियों को छोड़े जाने का फैसला होने तक पैरोल पर रिहा कर दिया जाना चाहिए. अलेक्स कहते हैं कि हैम्बर्ग अकेला प्रांत है जिसने तय किया है कि ऐसे लोगों की मौत जेल में नहीं होनी चाहिए.

रिपोर्ट: जेनिफर फ्रांचेक/एमजे

संपादन: अनवर जमाल अशरफ

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