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झूलते झालते परोसा जाएगा खाना

२१ मई २०१४

ऐसा रेस्त्रां, जहां खाना रोलर कोस्टर से मेज तक पहुंचता है. पसंदीदा डिश हो या कोल्ड ड्रिंक, रसोई से खाना झूलते झालते चलता है और सही ठिकाने पर पहुंच जाता है. जर्मनी में रोलर कोस्टर रेस्त्रां काफी लोकप्रिय हो रहा है.

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Berlin Restaurant Munch’s Hus
तस्वीर: DW/M. Zander

रेस्त्रां के रोलर कोस्टर के हर कोण को बारीकी से नापा गया है ताकि बोतल और प्लेट बिना गिरे या छलके सीधे टेबल तक पहुंचे. रेस्त्रां की मार्केटिंग प्रमुख मोनिका गोट्समान कहती हैं, "हमने कुछ चीजें टेस्ट कीं, सामान टेस्ट किए, कोण देखे और कोस्टर की पटरियों की गोलाई देखी. इसमें बन रही कक्षाओं को टेस्ट किया और अब यह परफेक्ट काम करता है." जर्मनी के हैम्बर्ग और दूसरे शहरों में रोलर कोस्टर रेस्त्रां की यह चेन काफी मशहूर हो रही है.

रेस्त्रां के मालिक को खुद खाना बनाना पसंद है. लेकिन परोसना उन्हें अच्छा नहीं लगता. इसीलिए उन्होंने रोलर कोस्टर का आइडिया निकाला और उसे 2007 में पेटेंट भी करवा लिया. रेस्त्रां में आए ग्राहक को सबसे पहले एक छोटा कंप्यूटर मिलता है. इसके बाद ग्राहक को ही सब कुछ संभालना पड़ता है. पहले कंप्यूटर पर भाषा चुनी, फिर ड्रिंक्स और डिश चुनकर ऑनलाइन ऑर्डर किया. ऑर्डर सीधे खानसामे के कंप्यूटर में पहुंच जाता है. खाना पारंपरिक तरीके से ही बनता है. ईको फ्रेंडली सामान से.

ऑर्डर नंबर से टेबल का पता लगाया जाता है और खाना सही झूले से सही टेबल तक पहुंचता है. शेफ क्लाउस श्वाइगर कहते हैं, "यहां खाना बनाना बहुत मजेदार है लेकिन काफी मुश्किल भी, क्योंकि हमारे यहां बहुत लोग आते हैं. हमें देखना होता है कि खाने की क्वालिटी भी बढ़िया हो और यह रोलर कोस्टर से सही ग्राहक तक पहुंचे."

रोलर कोस्टर की पटरियों से तेजी से उतरता हुआ खाना खास ब्रेक की मदद से ग्राहक की टेबल पर रुक जाता है. फिर बर्तनों को होल्डर से निकाला जाता है. लेकिन क्या ऐसे रेस्त्रां में वेटर की बिलकुल भी जरूरत नहीं? वेटर आकर टेबल साफ करते हैं.. खाना टेबल पर अपने आप तो पहुंच जाता है लेकिन टेबल खुद को साफ नहीं कर सकती. ऐसी तकनीक में अभी वक्त लगेगा.

रिपोर्टः माउरीसियो सांसिलियेरी/एमजी

संपादनः ए जमाल