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टाटा का घोटाले में शामिल होने से इनकार

९ दिसम्बर २०१०

भारत के प्रमुख कारोबारी रतन टाटा ने इन आरोपों का खंडन किया है कि उनकी कंपनी को 2जी लाइसेंस देने की प्रक्रिया में अरबों डॉलर के टेलिकॉम घोटाले में फायदा हुआ है.

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तस्वीर: AP

2008 में 2जी स्पेक्ट्रम लाइसेंस देने में हुई धांधली की पुलिस जांच के बीच रतन टाटा ने एक खुला पत्र जारी कर निर्दलीय सांसद और टेलिकॉम व्यवसायी राजीव चंद्रशेखर के आरोपों को ठुकरा दिया है कि टाटा के कारोबार को सरकार की टेलिकॉम नीति से अनुचित लाभ पहुंचा. चंद्रशेखर ने आरोप लगाया था कि टाटा टेलिसर्विसेस ने 2जी स्पेक्ट्रम के लिए पहले आओ पहले पाओ वाली लाइन जंप की.

रतन टाटा ने कहा, "पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा या किसी और मंत्री ने टाटा टेलिसर्विसेस को कोई लाभ नहीं पहुंचाया." आरोपों के बाद ए राजा ने पिछले महीने इस्तीफा दे दिया, लेकिन कुछ भी गलत करने से इनकार किया है. राजा पर आरोप है कि उन्होंने पसंदीदा कंपनियों को 2जी लाइसेंस बहुत कम मूल्य पर बेचा. बुधवार को पुलिस ने राजा और कुछ उच्चस्तरीय टेलिकॉम अधिकारियों के यहां छापा मारा.

एक हाइप्रोफाइल लॉबिस्ट के साथ हुई बातचीत का टेप मीडिया में आने के बाद टेलिकॉम घोटाले में टाटा का भी नाम आ रहा है और यह भारत के इतिहास का सबसे बड़ा भ्रष्टाचार कांड साबित हो सकता है. पिछले सप्ताह कॉरपोरेट सादगी का उदाहरण समझे जाने वाले टाटा ने सुप्रीम कोर्ट से टेपों को रोकने की अपील की थी. टाटा ने चंद्रशेखर के आरोपों को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और उनकी सरकार को शर्मिंदा करने की कोशिश बताया है.

चंद्रशेखर राज्यसभा के निर्दलीय सदस्य हैं. वे विपक्षी बीजेपी के समर्थन से चुने गए थे जो इस समय घोटाले की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति बनाने की मांग कर रही है और संसद का कामकाज नहीं चलने दे रही है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/महेश झा

संपादन: ए जमाल

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