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टायर पर प्याज मुफ्त

२४ अगस्त २०१३

प्याज के छिलके उतारते समय आंखों से आंसू निकलना आम बात है. भारत में प्याज एक बार फिर तेजी से आंसू निकाल रहा है, लेकिन इस बार इसकी वजह से यह छिलके नहीं, बल्कि उसकी कीमतें हैं.

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तस्वीर: DW/ Prabhakar

इससे आम लोगों का बजट तो गड़बड़ा ही गया है, कई सरकारों के सत्ता में बने रहने पर भी सवाल उठ रहे हैं. सरकार ने इन कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए जो उपाय किए हैं, वो अब तक नाकाफी ही साबित हुए हैं.प्याज की कीमतों की वजह से ही कई राज्यों में इसे इनामी वस्तु का दर्जा दे दिया है. कहीं टायर खरीदने पर प्याज मुफ्त मिल रहा है तो कहीं कपड़ा खरीदने पर.

कीमतें बढ़ने की वजह

दो-तीन सप्ताह पहले तक 25-30 रुपये प्रति किलो बिकनेवाला प्याज आखिर 70 से 80 रुपए किलो तक कैसे पहुंच गया ? दरअसल, देश में प्याज के सबसे बड़े उत्पादक राज्यों महाराष्ट्र और कर्नाटक में इस साल कहीं सूखे तो कहीं भारी बारिश की वजह से पैदावार में लगभग दस प्रतिशत की गिरावट आई है. हर साल पैदा होने वाले 1.7 लाख टन प्याज का 80 प्रतिशत इन दोनों राज्यों में पैदा होता है. भारी बारिश की वजह से ढुलाई में आने वाली दिक्कतों के चलते कर्नाटक और दूसरे दक्षिणी राज्यों से प्याज मंडियों तक नहीं पहुंच रहा है. कोलकाता में एक थोक व्यापारी मनोज प्रसाद कहते हैं, "हमें ऊंची दरों पर प्याज खरीदना पड़ रहा है. ऐसे में हम क्या कर सकते हैं ? मांग ज्यादा है और सप्लाई कम. कीमतों में तेजी तो स्वाभावविक है." लेकिन इस धंधे से जुड़े लोगों का कहना है कि बिचौलियों और मुनाफाखोरों की वजह से ही कीमतें तेजी से आसमान छूने लगी हैं. इसके लिए कृत्रिम अभाव पैदा किया जा रहा है.

बज़ट गड़बड़ाया

इन बढ़ती कीमतों ने आम लोगों का घरेलू बजट गड़बड़ा दिया है. लेकिन मुश्किल यह है कि प्याज का कोई विकल्प नहीं. एक गृहिणी सुनीता राय कहती हैं, "हमने प्याज का खर्च कम कर दिया है. पहले जहां सब्जी में दो-तीन प्याज डालते थे, अब एक से ही काम चला रहे हैं." एक सरकारी कर्मचारी कुमारेश लाहिड़ी कहते हैं, "पहले हमारा महीने भर का सब्जी का खर्च तय था. लेकिन प्याज में लगी आग ने महीना लगने से पहले ही बजट खत्म कर दिया. समझ में नहीं आता कि क्या करें ? बिना प्याज के काम ही नहीं चल सकता."

सरकारी उपाय

सरकार ने प्याज की कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए इसका न्यूनतम निर्यात मूल्य बढ़ा कर 650 डॉलर प्रति टन कर दिया है. उसने व्यापारियों को मुनाफाखोरी से बाज आने की चेतावनी दी है. इसके अलावा नेशनल एग्रीकल्चर कोआपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (नैफेड) को विदेशों से प्याज के आयात करने के निर्देश दिए गए हैं. नैफेड ने पाकिस्तान, ईरान, चीन और मिस्र से प्याज के आयात के लिए वैश्विक निविदा जारी की है. लेकिन इसमें कम से कम दो सप्ताह का समय लगेगा. दिल्ली के अलावा कई राज्यों में सरकारों ने सस्ते स्टॉल लगाकर प्याज की बिक्री शुरू की है. लेकिन ऐसे उपाय नाकाफी हैं.

Zwiebel zu teuer in Indien
कपड़ा खरीदने पर प्याज मुफ्ततस्वीर: DW/ Prabhakar

इनामी चीज

लगातार चढ़ती कीमतों ने प्याज को इनामी वस्तु बना दिया है. पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में त्योहारों के सीजन में कई दुकानों में 500 रुपए की खरीददारी पर एक किलो प्याज मुफ्त मिल रहा है. ऐसी ही एक दुकान के मालिक स्वपन कोले बताते हैं, "काफी सोचने के बाद हमने यह योजना शुरू की और इसका बढ़िया असर दिखाई दे रहा है. लोग कपड़े के साथ मुफ्त में प्याज पा कर गदगद हैं." इसी तरह, पड़ोसी राज्य झारखंड के जमशेदपुर में एक टायर विक्रेता ने टायरों की खरीद पर एक से पांच किलो तक प्याज मुफ्त देने की योजना शुरू की है.

प्याज की राजनीति

प्याज की बढ़ती कीमतों पर राजनीति भी तेज हो गई है. इसी सप्ताह भारतीय जनता पार्टी ने संसद में यह मुद्दा उठाते हुए सरकार से इसके निर्यात पर पूरी तरह रोक लगाने की मांग की है. वैसे, प्याज का राजनीति से रिश्ता भी कड़वा ही है. वर्ष 1998 में प्याज की बढ़ी कीमतों की वजह से ही दिल्ली की तत्कालीन भाजपा सरकार को सत्ता गंवानी पड़ी थी. यही वजह है कि इस साल विधानसभा चुनाव का सामना करने जा रही दिल्ली समेत कई दूसरे राज्यों के मुख्यमंत्रियों की चिंता लगातार गहरी होती जा रही हैं.

तमाम सरकारी उपायों के बावजूद फिलहाल प्याज की कीमतों में गिरावट के आसार कम ही हैं. नैफेड का कहना है कि विदेशों से प्याज आने में कम से कम दो सप्ताह लग जाएंगे. 27 अगस्त तक तो निविदा की ही अंतिम तारीख है.

रिपोर्टः प्रभाकर, कोलकाता

संपादनः आभा मोंढे