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टिलरसन की टिप्पणियों का कैसा होगा असर?

२१ मार्च २०१७

अमेरिका के कड़े रुख के बावजूद विश्लेषकों का मानना है कि अमेरिका, उत्तर कोरिया के खिलाफ पहले हमला कभी नहीं करेगा. हालांकि उन्हें यह आशंका है कि कोरियाई क्षेत्र में हल्की सी चिंगारी भी आग लगा सकती है.

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China Präsident Xi Jinping & US-Außenminister Rex Tillerson
तस्वीर: Getty Images/L. Zhang

अमेरिकी विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन की यह टिप्पणी कि "उत्तर कोरिया के प्रति रणनीतिक धैर्य की नीति खत्म हो गई है और बचाव के लिए हमला करने की रणनीति का ही विकल्प मौजूद है", फिलहाल चर्चा में हैं. टिलरसन ने इसे ही एकलौता राजनयिक विकल्प बताया है. लेकिन विशेषज्ञों को संदेह है कि चीन, दक्षिण कोरिया और जापान पर अमेरिकी विदेश मंत्री की टिप्पणियों का नकारात्मक असर पड़ सकता है.

बीजिंग ने अपनी स्थिति को दोहराते हुये कहा है कि बातचीत अब भी इस मसले को सुलझाने का उपयुक्त तरीका है. वहीं सोल और टोक्यो दोनों ने अमेरिका के साथ द्विपक्षीय सुरक्षा समझौतों को लेकर अपनी प्रतिबद्धता जताई है. इन सब के बीच टिलरसन ने उत्तर कोरिया को लेकर कड़ा रुख दिखाया है, जिसने चीन समेत दक्षिण कोरिया और जापान की चिंताएं बढ़ा दी हैं.

टोक्यो यूनिवर्सिटी में एसोसिएट प्रोफेसर स्टीफन नेगी के मुताबिक, "चीन, टिलरसन की टिप्पणियों से बेहद चितिंत होगा. खासकर इससे कि अमेरिका उत्तर कोरियाई ठिकानों पर पहले निशाना साध सकता है." उन्होंने कहा "इससे संभावित खतरे बढ़ सकते हैं. अगर उत्तर कोरिया का मौजूदा शासन बदला तो पूर्वी चीन में आश्रय की तलाश में जाने वालों की संख्या भी बढ़ सकती है. कुल मिलाकर इस क्षेत्र की जटिल भू-राजनीतिक स्थिति पर प्रभाव पड़ सकता है."

दक्षिण कोरिया के लिए सबसे बड़ी चिंता होगी कि किम जोंग-उन ने दक्षिण पर निशाना साधने वाले सिस्टमों को तैनात कर रखा है और सोल भी उत्तर कोरिया के निशाने पर बड़ी आसानी से आ सकता है. कुछ इसी तरह की चिंता जापान को भी हो सकती है जो उत्तर कोरिया की बैलिस्टिक मिसाइल के निशाने पर आ सकता है. उत्तर कोरिया ने जिन बैलस्टिक मिसाइलों का हाल में परीक्षण किया था, वे भी जापान में अमेरिका के सैन्य ठिकानों पर निशाना साध सकती हैं. जापान की परेशानी उत्तर कोरिया से आने वाले लोगों को लेकर भी हो सकती है.

हालांकि टिलरसन की एशियाई यात्रा पर अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने कोई खास प्रतिक्रिया नहीं दी है. उन्होंने ट्वीट कर कहा कि उत्तर कोरिया खराब बर्ताव कर रहा है और वह अमेरिका के साथ सालों से खेल रहा है. चीन ने मदद के लिये जरूर कुछ किया है.

नेगी ने कहा कि कितने भी दावे कर लिये जाएं लेकिन यह नहीं कहा जा सकता कि अमेरिका कोरिया को लेकर बराक ओबामा की नीतियों से इतर कोई नई नीति अपना रहा है.

सोल की ट्राय यूनिवर्सिटी में अंतरराष्ट्रीय संबंधों के प्रोफेसर डेनियल पिंकस्टन के मुताबिक, टिलरसन के ओर से की गई कड़ी बयानबाजी अमेरिका जनता का ध्यान खींचने का तरीका भी हो सकता है, जिसका मकसद ट्रंप को अपने पूर्ववर्तियों से अलग दिखाना होगा. उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता कि इससे कुछ बदलने वाला है. पिंकस्टन ने कहा कि दक्षिण कोरिया और जापान के सहयोग के बिना अमेरिका, उत्तर कोरिया के खिलाफ कोई सैन्य कार्रवाई नहीं कर सकता. लेकिन पिंकस्टन ने आशंका जताई कि तनातनी के इस माहौल में कोई भी चिंगारी आग का रूप ले सकती है.

(यूलियान रेयाल/एए)