1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

टीम इंडिया के सामने 112 रन का लक्ष्य

१२ जून २०१०

युवा स्पिनरों की शानदार गेंदबाजी के चलते भारत ने जिम्बाब्वे को 111 पर रोका. प्रज्ञान ओझा, पीयूष चावला और रविचंद्रन अश्विन ने बेहद कसी हुई गेंदबाजी की. आखिरी सात ओवर में सिर्फ 31 रन बने और पांच विकेट गिरे.

https://p.dw.com/p/NpAf
तस्वीर: AP

जिम्बाब्वे के खिलाफ आखिरकार टीम इंडिया ने टॉस जीत ही लिया. ट्राई सीरीज़ में बाद में बल्लेबाजी करने वाली टीम सारे मैच जीती, लिहाजा भारतीय कप्तान सुरेश रैना ने भी गेंदबाजी का फैसला किया. पहली सफलता पहले ही ओवर में मिली. नए तेज गेंदबाज विनय कुमार ने हैमिल्टन मासाक्दजा को एक रन से ज्यादा नहीं बनाने दिया.

इसके बाद भी विनय ने अपने दूसरे ओवर में टीम इंडिया को एक और सफलता दिलवाई. उस ओवर में 17 रन खाने के बाद उन्होंने ब्रेडन टेलर के पैड पर अचूक निशाना साधा. लेकिन फिर मैदान पर उतरे चिभाभा ने अशोक डिंडा की खूब खबर ली. आते ही उन्होंने 11 रन ठोंक दिए. चिभाभा ने सबसे ज्यादा 40 रन बनाए. टायबू के रूप में तीसरा विकेट अश्विन ने गिराया.

जिम्बाब्वे के सामने टीम इंडिया के युवा तेज गेंदबाज बहुत ज्यादा असरदार साबित नहीं हुए. विनय कुमार को तीन विकेट मिले लेकिन उनकी धुनाई भी हुई. अशोक डिंडा भी बेअसर साबित हुए. उनके तीन ओवरों में 27 रन पड़े.

मैच की तस्वीर प्रज्ञान ओझा के ओवर से बदलनी शुरू हुई. ओझा ने बेहद कसी हुई गेंदबाजी की. चार ओवर के स्पेल में उन्होंने दो ओवर मेडेन डाले और दो विकेट झटके. अश्विन ने भी 22 रन देकर एक विकेट झटका. तीसरे स्पिनर पीयूष चावला ने चार ओवर में 14 रन देकर एक विकेट उखाड़ा.

युवा स्पिनरों के इस शानदार प्रदर्शन की बदौलत जिम्बाब्वे की टीम एक एक रन की मोहताज हो गई. फिरकी के जाल में फंसी मेजबान टीम आखिरी 42 गेंदों पर सिर्फ 31 रन ही जोड़ सकी और पांच विकेट गंवा बैठी.

रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह

संपादन: एन रंजन