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टेनिस के मैदान से अमन का पैगाम

१० सितम्बर २०१०

वे राजनयिक जगत से काफी दूर हैं, लेकिन भारत के रोहन बोपाना और पाकिस्तान के ऐसाम उल हक कुरैशी ने टेनिस के मैदान पर एक पहल शुरू कर दी है, जिसकी चर्चा आज दोनों देशों के घर घर में हो रही है.

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बोपाना और कुरैशीतस्वीर: AP

और आज कुरैशी बोपाना की जोड़ी को यूएस ओपन के फाइनल में टॉप सीड खिलाड़ी ब्रायन बंधुओं का सामना करना है. सेमीफाइनल में उन्होंने अर्जेटीना की जोड़ी श्वांक और ज़ाबालो को हराया, और तालियां बजाने के लिए दर्शकों के बीच उपस्थित थे संयुक्त राष्ट्र में भारत के राजदूत हरदीप पुरी और पाकिस्तान के राजदूत अब्दुल्ला हारून. मैच के बाद बोपाना ने कहा कि अमन के पैगाम को आगे बढ़ाने के लिए बड़ी प्रतियोगिताओं में अच्छा प्रदर्शन जरूरी है. और भारतीय खेल मंत्री एमएस गिल ने टिप्पणी की है कि अगर कुरैशी और बोपाना दो भाइयों की तरह साथ साथ खेल सकते हैं, तो भारत और पाकिस्तान क्यों नहीं.

बाढ़, आतंकवाद और मैच फिक्सिंग के माहौल में कुरैशी ने कोशिश की है कि अपने देश के कुछ चेहरों पर मुस्कान की एक हल्की सी लकीर वापस लौटाई जाए. उन्होंने कहा, "वे हमेशा कहते रहे हैं कि खेल वहां तक पहुंचने के काबिल है, मजहब और राजनीति जहां पहुंचने में नाकाम रहती है. अगर भारत या पाकिस्तान में कुछ लोगों के दिमाग बदले जा सकें, तो यह एक बहुत बड़ी बात होगी."

कुरैशी भी क्रिकेट के फैन हैं. उनका कहना है कि पाकिस्तान क्रिकेट के पीछे पागल है, और टेनिस उसकी जगह नहीं ले पाएगा. जहां तक मैच फिक्सिंग का सवाल है, तो वे कहते हैं कि जांच तो चल रही है, लेकिन वीडियो और बयानों को देखने से लगता है कि ये खिलाड़ी उसमें शामिल थे. अगर यह बात साबित हो जाती है, तो क्रिकेट को काफी धक्का पहुंचेगा.

और टेनिस के मैदान से हल्की सी मुस्कान उस घाव को भर नहीं पाएगी. लेकिन कुरैशी और बोपाना कोशिश कर रहे हैं. और खेल के मैदान में जो कोशिश करता है, उसे दाद भी मिलती है.

रिपोर्ट: उज्ज्वल भट्टाचार्य

संपादन: महेश झा