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ट्रंप पर बोले मुहम्मद अली, जकरबर्ग

ईशा भाटिया (एएफपी, रॉयटर्स)१० दिसम्बर २०१५

अमेरिका में राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप की टिप्पणियां दुनिया भर के लिए सिरदर्द बनती जा रही हैं. मुक्केबाज मुहम्मद अली ने इस पर नाराजगी जताई है, तो मार्क जकरबर्ग ने कहा है कि फेसबुक पर मुसलमानों का स्वागत है.

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USA Donald Trump in National Harbor
तस्वीर: picture alliance/AP Images/S. Walsh

फेसबुक के संस्थापक मार्क जकरबर्ग ने लिखा है कि मुस्लिम समुदाय को पेरिस या कहीं भी हुई कट्टरपंथी घटना के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जाना चाहिए और उन्हें दूसरों की गलतियों की सजा नहीं दी जानी चाहिए. अपने फेसबुक पेज पर उन्होंने लिखा, "पेरिस में हुए हमलों और इस हफ्ते फैलाई गयी नफरत के बाद, मैं समझ सकता हूं कि मुसलमान किस डर के साथ जी रहे होंगे कि उन्हें दूसरों के जुर्म के लिए जिम्मेदार माना जाएगा."

जकरबर्ग ने आगे लिखा, "एक यहूदी होने के नाते, मेरे माता पिता ने मुझे यही सिखाया है कि हमला किसी भी समुदाय के खिलाफ हुआ हो, हम सबको मिल कर उसके खिलाफ खड़ा होना चाहिए. अगर हमला आप पर नहीं भी हुआ, तब भी आजादी पर हुआ हमला जब किसी एक पर होता है, तो उसका असर सब पर होता है." ट्रंप की मुसलमानों के अमेरिका आने पर रोक लगाने की बात पर टिप्पणी करते हुए जकरबर्ग ने लिखा है, "अगर आप एक मुसलमान हैं, तो फेसबुक का संस्थापक होने के नाते, मैं आपको यह बताना चाहूंगा कि आपका हमेशा यहां स्वागत है और हम आपके अधिकारों की रक्षा के लिए लड़ेंगे और आपके लिए एक शांतिपूर्ण और सुरक्षित माहौल बनाएंगे."

इस बीच ट्रंप का मजाक उड़ाते हुए कई कार्टून और वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किए जा रहे हैं. एक वीडियो में ट्रंप को अमेरिका के राष्ट्रीय पक्षी और प्रतीक चिह्न सफेद बाज के साथ तस्वीर खिंचवाते हुए देखा जा सकता है. वीडियो में बाज ट्रंप पर झपट्टा मारता दिखता है. इस पर लोग लिख रहे हैं कि खुद अमेरिका का प्रतीक भी ट्रंप को नापसंद करता है.

ट्रंप यानि व्हाइट आईसिस

अमेरिका के लोकप्रिय टीवी कार्यक्रम "द डेली शो" ने तो ट्रंप को "व्हाईसिस" यानि व्हाइट आईसिस का नाम दिया है. ट्रंप पर चुटकी लेते हुए स्टैंड अप कॉमेडियन हसन मिनहाज ने कहा कि दरअसल ट्रंप कभी राष्ट्रपति पद के लिए खड़े ही नहीं होना चाहते थे लेकिन उन्हें इसमें धकेल दिया गया और अब वे बार बार ऐसी हरकतें कर रहे हैं जिससे वे सुनिश्चित कर सकें कि अमेरिका की जनता उन्हें नहीं चुनेगी.

वहीं अमेरिकी चैनल एनबीसी से बात करते हुए 72 साल के मुहम्मद अली ने सीधे ट्रंप का नाम तो नहीं लिया लेकिन "राष्ट्रपपति पद के उम्मीदवार, जो मुसलमानों को देश से बाहर निकाल देना चाहते हैं" की बात की. अली ने कहा कि मुसलमानों को उन लोगों के खिलाफ एकजुट होना होगा जो अपने निजी स्वार्थ के लिए इस्लाम का इस्तेमाल कर रहे हैं. उन्होंने कहा, "मैं खुद एक मुसलमान हूं और कह सकता हूं कि पेरिस, सैन बैरनार्डीनो या दुनिया में कहीं भी मासूम लोगों की हत्या करना इस्लाम नहीं सिखाता. सच्चे मुसलमान जानते हैं कि खुद को इस्लामी जिहादी कहने वालों द्वारा की जा रही बर्बर हिंसा धर्म के मूल्यों के विरुद्ध है."

नतीजे कि परवाह किए बगैर बयान देने वाले ट्रंप ने यह भी ट्वीट किया है कि वे जानते थे कि टाइम पत्रिका उन्हें "पर्सन ऑफ द ईयर" नहीं चुनेगी, हालांकि वे इतने लोकप्रिय हैं. उन्होंने लिखा कि पत्रिका ने एक ऐसे व्यक्ति को चुना है, जो दरअसल जर्मनी को बर्बाद कर रही है.

क्या करेंगे बेन्यामिन नेतन्याहू?

डोनाल्ड ट्रंप साल के अंत में इस्राएल जाने की भी घोषणा कर चुके हैं. लेकिन इस्राएली प्रधानमंत्री बेन्यामिन नेतन्याहू के लिए यह परेशानी का सबब बन सकता है. नेतन्याहू अमेरिका की रिपब्लिकन पार्टी के समर्थक रहे हैं लेकिन ट्रंप के बयान के बाद उन्हें कहना पड़ा है कि इस्राएल सभी धर्मों का सम्मान करता है और वे ट्रंप से सहमति नहीं रखते हैं. ऐसे में नेतन्याहू ने कहा है कि 28 दिसंबर को वे ट्रंप से मुलाकात तो करेंगे लेकिन यह किसी अन्य राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार से होने वाली बैठक से अलग नहीं होगी.

इस्राएल के पूर्व कंसुल जनरल ऐलन पिंकास ने इस बारे में कहा, "मुझे लगता है कि प्रधानमंत्री खुश होंगे अगर इस बैठक को रद्द कर दिया जाता है. उनके लिए मुश्किल खड़ी हो सकती है. इसलिए नहीं कि डोनाल्ड ट्रंप ने मुसलमानों, महिलाओं या जॉन मैककेन पर टिप्पणियां की हैं, बल्कि इसलिए कि वे प्रधानमंत्री के बगल में खड़े हो कर ना जाने क्या क्या कह देंगे."