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डिजिटल कचरे से काव्य

१० मार्च २०१४

अगर आप के पास ईमेल है तो स्पैम मेल की परेशानी से आप भी परिचित होंगे. ढेर सारे लोगों के लिए ये मेल डिजिटल काल का कचरा होते हैं लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं जो इसमें एक प्रकार का काव्य देखते हैं.

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तस्वीर: cc-by-nc-2.0/Mar Canet

अपनी कला के लिए वारवरा गुलिएवा और मार कार्नेट स्पैम रूपी डिजिटल कचरे में छान बीन करते हैं. हर दिन दुनिया भर में लाखों स्पैम ईमेल भेजे जाते हैं. ऐसे ईमेल जो कोई चाहता नहीं, लेकिन उनमें उनसे मर्दानगी बढ़ाने वाली दवाईयों खरीदने को कहा जाता है या फिर आसानी से हजारों कमाने का ऑफर दिया जाता है या कहा जाता है कि उन्होंने लाखों की लॉटरी जीती है. अब ईमेल प्रोवाइडर भी चालाक हो गए हैं, इसलिए अधिकांश स्पैम मेल ट्रैश फोल्डर में चला जाता है, लेकिन जहां तक गुलिएवा का सवाल है, वे नहीं चाहती कि ये मेल वहां से गुम हो जाएं, "हम किसी तरह उन्हें रिसाइकल करना चाहते थे."

इसलिए गुलिएवा और उनके स्पैनिश पार्टनर कैनेट ने एक प्रोजेक्ट शुरू किया. साथ मिलकर उन्होंने अक्सर गलत भाषा में लिखे गए विज्ञापनों को कविता में बदलना शुरू किया. उन्होंने उनका प्रकाशन करने के बदले उन्हें हाथ से बुने पुलोवरों पर छापना शुरू किया. गुलिएवा कहती हैं, "यह डिजीटल दुनिया और परंपरागत हस्तकला के अंतर को दिखाता है. एक बहुत तेज है और दूसरा बहुत धीमा कि आपको हर बुनाई पर ध्यान देना होगा."

Spam-Poetry auf Strickpullovern
पुलोवर पर कवितातस्वीर: cc-by-nc-2.0/Mar Canet

और इस तरह पुलोवर के सामने, पीछे और बांह पर अजीब से टेक्स्ट होते हैं. "हम सचमुच के उत्पाद हैं. मुझे पता है कि इसे चुना जाएगा." इन पुलोवरों को पहना नहीं जाएगा. कुछ की बाहें बहुत लंबी हैं तो कुछ को गले पर या बाहों पर सिल दिया गया है. गुलिएवा कहती हैं, "ये पोशाक उसी तरह इस्तेमाल लायक नहीं होते जैसे स्पैम मेल. आपको लगेगा कि यह पुलोवर है, लेकिन आप इसका इस्तेमाल नहीं कर सकते."

दिलचस्प अनुवाद

पहले विज्ञापन वाले मेल 1978 में भेजे गए. किसी को पता नहीं कि किसने कचरा मेल को स्पैम काव्य, स्पोएट्री यानी स्पैम पोएट्री में बदलना शुरू किया. इसके बारे में पहला निशान सैटायरवायर वेबसाइट पर मिलता है. 2000 में इस वेबसाइट ने स्पैम मेल का इस्तेमाल कर तैयार की गई अच्छी लगने वाली कविताओं का चुनाव किया. तब से ज्यादा से ज्यादा लोग स्पैम मेल से कविता बनाने के काम में जुट गए हैं.

उनमें से अधिकांश लोग अंग्रेजी भाषी देशों के हैं. लेकिन थोमस पाल्सर को सिर्फ अंग्रेजी के मेल ही आकर्षित नहीं करते. उन्होंने करीब डेढ़ साल तक स्पैम मेल इकट्ठा किया और उसके बाद उन्होंने अपनी पसंदीदा हिस्सों को ई बुक में प्रकाशित किया. उनका अनुवाद दूसरी भाषाओं में भी हुआ है. पाल्सर की दिलचस्पी खास कर उन संदेशों में है जिनमें भाषा और व्याकरण की गलतियां होती हैं, ऐसे शब्द जिनका ऑटोमैटिक ट्रांसलेशन के बाद कोई अर्थ नहीं बनता. "कभी कभी वे असली टेक्स्ट से ज्यादा कुछ कह जाते हैं."

Thomas Palzer Spam-Poet
स्पैम कवि थोमस पाल्सरतस्वीर: privat

मशीनी कविता

लेकिन क्या मशीन से बनाए गए टेक्स्ट को कविता कहना और उन्हें ऑस्कर वाइल्ड या एडगर एलन पो जैसे लेखकों की कविता के बराबर रखना सही होगा? अगर आप यह सवाल पाल्सर से करें तो वे आपत्तियों को ठुकरा देते हैं. वे पूछते हैं, "कविता क्या है? कविता सूचना की भाषा नहीं है, यह हमारे अंदर कुछ पैदा करती है." उनका कहना है कि यह काम स्पैम मेल भी कर सकते हैं, यदि आप उसके पीछे के अर्थ को न खोजें. उनका कहना है कि स्पैम मेल को पढ़ना मजेदार हो सकता है.

लेकिन बहुत से लोगों के लिए स्पैम मेल कचरा ही रहेगा, भले ही वह अपने को कविता के रूप में पेश करे या किसी और रूप में. पाल्सर के प्रकाशन गृह के निकोला रिष्टर मानते हैं कि उनके बहुत पाठक नहीं हैं. इनेस गुटिएरेज का भी अनुभव है कि स्पैम काव्य सब के लिए नहीं है. तीन अन्य ब्लॉगरों के साथ मिलकर उन्होंने वेब 2.0 सम्मेलन रिपुब्लिका 2012 में चुनिंदा स्पैम मेल पेश किए. इससे पहले उन्होंने महसूस किया था कि अनजाने में ही स्पैम मेल बहुत मजेदार हुआ करते हैं.

रिपुब्लिका में उन्हें लोगों तक स्पैम मेल के हास्य को पहुंचाने में कामयाबी मिली. गुटिएरेज ने बताया, "मैंने बस डेटलाइन पढ़ी और लोग ठहाके लगाने लगे." कुछ हफ्ते बाद एक दूसरी गोष्ठी में उनका अनुभव एकदम अलग था. वहां कोई नहीं हंसा, लोग चुप रहे. कई बार स्पैम मेल को वहीं छोड़ देना अच्छा होता है, जहां उसकी जगह है, ट्रैश फोल्डर में.

रिपोर्ट: सुजाने डिकेल/एमजे

संपादन: मानसी गोपालकृष्णन

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