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डीआरएस सिस्टम से निकली पहली सेंचुरी

३० जुलाई २०१०

ट्रेंट ब्रिज टेस्ट के पहले दिन ही नया डिसीजन रिव्यू सिस्टम (डीआरएस) स्थाई तौर पर लागू हुआ और इसे जमकर आजमाया गया. नतीजा यह रहा कि जो खिलाड़ी 78 पर आउट हो रहा था वह 125 रन बनाकर भी नॉट आउट है.

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तस्वीर: AP

डीआरएस की बदौलत ओवन मॉर्गन ने पाकिस्तान के खिलाफ सेंचुरी जमाई. ट्रेंट ब्रिज टेस्ट के पहले दिन का खेल खत्म होने तक इंग्लैंड ने चार विकेट खोकर 331 रन बना लिए. मॉर्गन अपनी सेंचुरी के लिए डीआरएस को शुक्रिया कह रहे होंगे क्योंकि जब वह 78 रन पर खेल रहे थे तब दानिश कनेरिया की बॉल पर श्रीलंकाई अंपायर असोका डिसिल्वा ने उन्हें एलबीडबल्यू आउट दे दिया. मॉर्गन ने इस फैसले के खिलाफ अपील की और थर्ड अंपायर ने उनकी बात को सही ठहराया.

खेल के बाद मॉर्गन ने कहा, “मेरे दिमाग में थोड़ा सा संदेह था और कॉलिंगवुड ने मेरे पास आकर कहा कि इसका रिव्यू कराना चाहिए. मैंने पहली बार डीआरएस का इस्तेमाल किया और मैं बहुत खुश हूं.”

पाकिस्तान ने हाल ही में न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ डीआरएस को आजमाया है, इस सिस्टम की वजह से खुद भी नुकसान में रहा. लेकिन तकनीक ने सही को सही साबित करने का ही काम किया. दिन भर में पांच बार इसका इस्तेमाल हुआ और ज्यादातर फैसला पाकिस्तान के खिलाफ ही गया.

सबसे पहले पाकिस्तान ने लंच के फौरन बाद मोहम्मद आसिफ के दो लगातार ओवरों में केविन पीटरसन के खिलाफ अपील की. लेकिन दोनों बार उसकी अपील खारिज हो गई. वहीं इंग्लैंड की शुरुआत अच्छी रही. जब जोनाथन ट्रॉट को कनेरिया की गेंद पर आउट दिया गया तो उन्होंने डीआरएस आजमाया और क्रीज पर जमे रहे.

ट्रॉट को ही दोबारा डीआरएस का इस्तेमाल करना पडा जब मोहम्मद आमेर की एक बॉल पर उन्हें एलबीडबल्यू करार दिया गया. लेकिन इस बार वह भाग्यशाली नहीं रहे. पाकिस्तान को लगता है कि उसने सिस्टम का सही इस्तेमाल किया. उमर अमीन ने पीटरसन के बारे में कहा, “ईमानदारी से कहूं तो मुझे लगता है वह आउट थे. जहां मैं खड़ा था वहां से ऐसा ही लगा.” लेकिन अमीन ने यह भी कहा कि यह एक अच्छा सिस्टम है और आपके हक में ही जाता है.

अगर डीआरएस से कोई नाखुश है तो वह हैं अंपायर डिसिल्वा. उन्होंने मॉर्गन और ट्रॉट दोनों को आउट दिया और दोनों बार उनके फैसले बदल दिए गए.

रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार

संपादनः एस गौड़