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डॉक्टरों की मदद से क़ैदियों को यातनाएं

११ जून २०१०

सीआईए की जेलों में डॉक्टरों की मदद से क़ैदियों को यातनाएं और उनके जिस्म पर गैरकानूनी प्रयोग? द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद शायद ही ऐसे आरोप सामने आए हैं. मानवाधिकारों के लिए डॉक्टरों के अमेरिकी संगठन ने ऐसे आरोप लगाए हैं.

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तस्वीर: Getty Images /G. Gershoff

अब तक यह दावा किया जाता रहा है कि डॉक्टर इसलिए मौजूद रहते थे, ताकि वे इस बात की गारंटी दे सकें कि क़ैदियों से सिर्फ़ कड़ी पूछताछ की जा रही है, यातनाएं नहीं दी जा रही हैं. अमेरिकी संगठन "मानवाधिकारों के लिए डाक्टर" की नई रिपोर्ट में कहा गया है कि इन डॉक्टरों का काम यातनाएं देने से रोकना नहीं, बल्कि उनके तरीकों में निखार लाना था. इस रिपोर्ट को तैयार करने में नैथनिएल रेमंड की प्रमुख भूमिका रही है. वे कहते हैं कि उनके पास सबूत हैं कि सीआईए की जेलों में क़ैदियों के साथ गै़रकानूनी प्रयोग किए जाते रहे हैं.

द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद से क़ैदियों की रज़ामंदी के बिना ऐसे प्रयोगों पर पाबंदी लगी हुई है. जेनेवा कन्वेंशन और न्युरेमबर्ग कोडेक्स में साफ़-साफ़ कहा गया है कि इंसानों के साथ कोई ऐसा प्रयोग नहीं किया जा सकता. नाज़ी यातना शिविरों में क़ैदियों के साथ किए गए अमानवीय प्रयोगों की पृष्ठभूमि में ऐसे नियम बनाए गए थे. अब एक अमेरिकी मानव अधिकार संगठन की ओर से सीआईए पर ऐसे भयानक आरोप लगाए जा रहे हैं. यह सब राष्ट्रपति बुश के कार्यकाल के दौरान हुआ है. रिपोर्ट के लेखकों में से एक, मनोवैज्ञानिक स्टीफ़ेन सोल्द्ज़ कहते हैं कि ये डॉक्टर आंकड़े इकट्ठा करते थे. लेकिन उनका इरादा क़ैदियों की भलाई नहीं, बल्कि पूछताछ के तरीकों में निखार लाना था और कानून कि पकड़ से बचने का रास्ता तैयार करना था.

CIA Folter in Reithalle in Litauen
लिथुआनिया में सीआईए का क़ैदी शिविरतस्वीर: AP

रिपोर्ट के लेखक दो साल तक शोध करते रहे हैं. उन्होंने बुश के कार्यकाल के आंकड़ों की छानबीन की है. मिसाल के तौर पर, वाटर बोर्डिंग या पूछताछ के दौरान क़ैदियों को पानी में डूबाना, ताकि उनको लगे कि उन्हें डुबाकर मारा जाने वाला है. सीआईए की ओर से डॉक्टरों को हिदायत दी गई थी कि वे बारीकी से दर्ज करें कि कितने पानी का इस्तेमाल किया गया, कितना पानी नाक और मुंह में घुसा, कैसे इस तरीके को और कारगर बनाया जा सकता है. मिसाल के तौर पर वाटर बोर्डिंग से पहले क़ैदी को सिर्फ़ तरल खाना दिया जाता था, ताकि वह उलटी न कर सके. रिपोर्ट के एक अन्य लेखक स्कॉट ऐलेन का कहना है कि सीआईए से जुड़े डाक्टरों ने स्पष्ट रूप से नैतिक व कानूनी मापदंडों का उल्लंघन किया है.

सीआईए ने बौखलाहट के साथ कहा है कि ये सारी बातें सरासर झूठ हैं. क़ैदियों के साथ कभी भी प्रयोग नहीं किए गए हैं. अमेरिकी सरकार ने कई बार सीआईए के पूछताछ के तरीकों की जांच की है. मानवाधिकारों के लिए डॉक्टरों के संगठन की मांग है कि उनके आरोपों की जांच की जाए. नैथनिएल रेमंड कहते हैं -

हमारा संदेश स्पष्ट है. अब जांच का वक्त आ गया है. हमने अपने सबूत पेश कर दिया है. अब सरकार को अपने सबूत पेश करने हैं. - नैथनिएल रेमंड

रिपोर्ट: अन्ना एंगेलके/उभ

संपादन: राम यादव