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डोपिंग के बोझ से झुके वेटलिफ्टरों के कंधे

निखिल रंजन (संपादन: एस गौड़)१५ सितम्बर २०१०

भारतीय वेटलिफ्टिंग के लिए मुकाबले में उठाए जाने वाले वजन से ज्यादा भारी डोपिंग का बोझ. अंदाजा इस बात से लग सकता है कि कुछ दिन दिन पहले तक ये तय नहीं था कि टीम अपने देश में हो रहे कॉमनवेल्थ खेलों में हिस्सा लेगी या नहीं.

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तस्वीर: DPA

भारत में मौजूदा दौर की सबसे प्रतिभाशाली वेटलिफ्टर और 2002 में मैनचेस्टर कॉमनवेल्थ में गोल्ड मेडल जीत चुकी सानामाचा चानू डोपिंग के शिकंजे में फंस गई हैं. डोपिंग ने दूसरी बार चानू को जकड़ा है और आरोप साबित हुए तो उन पर जीवन भर के लिए पाबंदी लग जाएगी.

31 साल की चानू एथेंस ओलिम्पिक में चौथे नंबर पर रही थी लेकिन डोपिंग में नाम आने के बाद उनकी पोजिशन छीन ली गई. चानू दिल्ली कॉमनवेल्थ गेम्स में वेटलिफ्टिंग के पदकों की सबसे बड़ी दावेदार थीं.

वैसे महिला वेटलिफ्टरों में संध्या रानी, स्वाती सिंह, रेणुबाला चानू, मोनिका देवी, सृष्टि सिंह, और गीता रानी भारत के लिए पदकों की दावेदारी बनाए हुए हैं. पर सानामाचा चानू के पकड़े जाने से उनका मनोबल जरूर गिर गया है.

वेटलिफ्टरों के कंधों पर अब दुगुना वजन है लेकिन उम्मीदें खत्म नहीं हुई हैं. चानू के बाद गीता रानी सोना जीतने की सबसे बड़ी दावेदार हैं वैसे रेणुबाला चानू से भी उम्मीदें कम नहीं हैं.

पुरुषों की टीम में वी एस राव, रवि कुमार, रुस्तम सारंग, ओंकार ओतारी, सुखन डे, सीपीआर सुधीर कुमार, चंद्रकांत माली और सरबजीत शामिल हैं. इनमें वीएस राव और रवि कुमार 56 और 59 किलो वर्ग में सोना जीतने के सबसे बड़े दावेदार हैं.

दोनों ने ट्रायल और पिछले कुछ मुकाबलों में अच्छा प्रदर्शन किया कॉमनवेल्थ खेलों में वजन उठाकर 93 पदकक जीते हैं. इनमें 33 सोना, 39 चांदी और 21 कांसा के पदक हैं और कोई शक नहीं कि इसमें इस साल कुछ और इजाफा होगा.

भारतीय वेटलिफ्टिंग फेडरेशन के अध्यक्ष बी पी बैश्य ने दावा किया है कि भारतीय खिलाड़ी वेटलिफ्टिंग में 15 गोल्ड मेडल जीतेंगे. लेकिन डोपिंग में पकड़े जाने के मामले इन दावों पर सवाल खड़े करते हैं. हाल ही में पता चला कि साल के आठ महीनों में भारत में 103 खिलाड़ी डोपिंग में पकड़े गए हैं.

इनमें जूनियर लेवल पर खेलने वाले खिलाड़ी भी शामिल हैं. कॉमनवेल्थ खेलों की टीम में शामिल कई खिलाड़ी पॉजिटिव पाए गए हैं. कुछ समय पहले कजाकिस्तान से जब वेटलिफ्टिंग टीम बिना पदकों के वापस लौटी तो आईडब्ल्यूएफ के अधिकारी मायूस होने की बजाय खुश हुए कि उनका कोई खिलाड़ी डोपिंग के जाल में नहीं फंसा.

5 लाख अमेरिकी डॉलर का जुर्माना पिछले साल एक साथ छह वेटलिफ्टरों के डोपिंग टेस्ट में पकड़े जाने पर वेटलिफ्टरों की अंतरारष्ट्रीय बिरादरी लगा चुकी है. भारतीय वेटलिफ्टिंग फेडरेशन ने अपनी जमापूंजी में से 1.25 लाख डॉलर तो भर दिए लेकिन बाकी की रकम देने के लिए उसके पास कुछ बचा ही नहीं.

ऐसे में अंतरराष्ट्रीय बिरादरी ने कॉमनवेल्थ में खेलने की मंजूरी देने से ही इंकार कर दिया. आखिरकार खेल मंत्रालय के निर्देश पर भारतीय ओलंपिक संघ और कॉमनवेल्थ आयोजन समिति ने ब्याजमुक्त कर्ज देकर भारतीय वेटलिफ्टरों को उबार लिया.

इससे पहले 2006 में भारत को वेटलिफ्टिंग की बिरादरी से 1 साल के लिए बाहर किया जा चुका है. 2006 के मेलबर्न कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत के एडविन राजू और तेजेंद्र सिंह डोपिंग टेस्ट में पकड़े गए और खेलों से पहले पी बोदारी और शैलजा पुजारी डोपिंग टेस्ट में फेल हो गए. भारतीय वेटलिफ्टिंग फेडरेशन ने इन सभी के खेलने पर पाबंदी लगा दी.