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डोपिंग में पकड़े जा चुके हैं 103 भारतीय

१२ सितम्बर २०१०

साल के आठ महीनों में भारत में 103 खिलाड़ी डोपिंग में पकड़े गए हैं. इनमें जूनियर लेवल पर खेलने वाले खिलाड़ी भी शामिल हैं. कॉमनवेल्थ खेलों की टीम में शामिल कई खिलाड़ी पॉजिटिव पाए गए हैं.

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भारतीय खेलों का जहरतस्वीर: DW-TV

भारतीय खिलाड़ियों में डोपिंग के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं और हालात खतरनाक हद तक पहुंच चुके हैं. भारत का खेल मंत्रालय भी मानता है कि देश में डोपिंग को लेकर स्थिति बहुत खराब हो चुकी है. खेल मंत्रालय ने बताया है कि देश में इसी साल 103 खिलाड़ी डोप टेस्ट में फेल हो चुके हैं. सबसे खराब बात यह है कि इनमें जूनियर लेवल पर खेलने वाले खिलाड़ी भी हैं.

हाल ही के कुछ दिनों में 18 खिलाड़ियों को डोप टेस्ट में पॉजिटिव पाया गया. इनमें से कई खिलाड़ी कॉमनवेल्थ खेलों की टीम में शामिल हैं और इससे खेल जगत में तो भारत का नाम खराब हुआ ही है, कॉमनवेल्थ खेलों में पदकों की दावेदारी को भी झटका लगा है. भारतीय खेल मंत्रालय के मुताबिक इन 18 खिलाड़ियों में से 12 एक ही दवा लेने के दोषी पाए गए. मिथाइलहेक्सानेमाइन नाम की इस दवा को अंतरराष्ट्रीय एंटी डोपिंग एजेंसी ने इसी साल प्रतिबंधित दवाओं की श्रेणी में डाला है.

खेल मंत्रालय के संयुक्त सचिव (अंतरराष्ट्रीय खेल डिविजन) राहुल भटनागर ने बताया कि 103 खिलाड़ियों में उन्हीं खेलों के खिलाड़ी नहीं हैं जो कॉमनवेल्थ में खेले जाने हैं, बल्कि कई अन्य खेलों के खिलाड़ी भी डोपिंग में पकड़े गए हैं. भटनागर ने कहा, "जनवरी से अगस्त तक यानी आठ महीनों में 2047 खिलाड़ियों के नूमने लेकर उनकी जांच कराई गई. इनमें से 103 खिलाड़ी पॉजिटिव पाए गए. हमने इस बारे में वर्ल्ड एंटी डोपिंग एजेसीं वाडा को सूचना दे दी है." भटनागर भारत की राष्ट्रीय एंटि डोपिंग एजेंसी के डायरेक्टर जनरल हैं.

हालांकि भटनागर ने इस सवाल का जवाब नहीं दिया कि ज्यादातर खिलाड़ी एक ही दवा लेने के दोषी क्यों पाए जा रहे हैं. पूछे जाने पर उन्होंने इतना ही कहा कि ऐसा नहीं है कि इस दवा के लेने के ज्यादा मामले सामने आए हैं.

रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार

संपादनः एस गौड़

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