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ढेरों मतभेद और थोड़े सहयोग के मौके

१४ मई २०१५

भारत और चीन के बीच विवादों और प्रतिद्वंद्विता का लंबा इतिहास रहा है. दोनों देश एशिया में अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश में तो हैं ही, विश्वमंच पर भी चीन पर काबू के लिए भारत को चीन के बरस्क खड़ा करने की कोशिश की जा रही है.

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तस्वीर: Reuters/K. Kyung-Hoon

भारत और चीन लगभग एक साथ आजाद मुल्क के रूप में उभरे हैं. भारत 1947 में अंग्रेजों के कब्जे से आजाद हुआ तो चीन में 1949 में कम्युनिस्ट क्रांति हुई. उसके बाद से दोनों देश न सिर्फ अपने अपने विकास के लिए प्रतिस्पर्धा में हैं, बल्कि दुनिया के दूसरे नवस्वतंत्र देशों के बीच अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए भी. प्रतिस्पर्धा विकास के मॉडल पर भी रही है लेकिन 1962 में हुए युद्ध के बाद दोनों देशों के बीच संदेह इस हद तक बढ़ गया कि वे अब तक उस दुःस्वप्न से छुटकारा नहीं पा सके हैं.

दशकों से भारत और चीन के बीच हिमालय में सीमा को लेकर विवाद रहा है. चीन भारत के पूर्वोत्तर राज्य अरुणाचल प्रदेश पर दावा करता है तो भारत का कहना है कि उसने पश्चिमोत्तर में अक्साई चीन पर अवैध कब्जा कर रखा है. पिछले कुछ सालों से सीमा विवाद ठंडा पड़ा है क्योंकि दोनों देश व्यापारिक संबंधों को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहे हैं. दोनों देशों के बीच लंबे समय से सीमा वार्ता भी हो रही है लेकिन समय समय पर विवाद उभरता रहता है. हाल में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अरुणाचल प्रदेश का दौरा किया तो चीन ने इसका भारी विरोध किया.

मोतियों की माला

हिंद महासागर में चीन की बढ़ती उपस्थिति से भारत परेशान है. विश्लेषक भारत के पड़ोसी देशों श्रीलंका, म्यांमार, बांग्लादेश, मालदीव और पाकिस्तान में चीन की दिलचस्पी को उसकी 'मोतियों की माला नीति' बताते हैं जिसका मकसद भारत को घेरना है. चीन ने श्रीलंका में हंबनोटटा बंदरगाह बनाया है और राजधानी कोलंबो के समुद्र तट के निकट बड़ी विकास परियोजना शुरू की. उसके बाद उसके दो युद्धपोत श्रीलंका पहुंचे जिसकी वजह से भारत के साथ उसके संबंध बिगड़ गए. नए राष्ट्रपति के चुनाव के साथ स्थिति नियंत्रण में है लेकिन अमेरिका का कहना है कि चीन इलाके में अपनी उपस्थिति बनाने की कोशिश जारी रखेगा.

चीन और पाकिस्तान के लंबे संबंध भारत को नर्वस करते रहे हैं. इस एकतरफा संबंध में चीन पाकिस्तान को लगातार आर्थिक मदद और राजनीतिक समर्थन देता रहा है. पाकिस्तान भी चीन के साथ अपनी दोस्ती को लेकर चिंतित है क्योंकि इसकी मदद से ही वह भारत के बढ़ते आर्थिक और राजनीतिक प्रभाव को संतुलित कर सकता है. पाकिस्तान चीन को दक्षिण एशिया, ईरान और अरब सागर तक पहुंचने का रास्ता भी देता है. इस साल एक दौरे पर चीन के विदेश मंत्री ने पाकिस्तान के साथ संबंधों को हर मौसम वाली दोस्ती बताया था.

कछुआ और खरगोश

काफी समय के बाद भारत के आर्थिक विकास की गति चीन को पीछे छोड़ रही है. हालांकि चीन की अर्थव्यव्यवस्था का आकार भारतीय अर्थव्यवस्था की तुलना में पांच गुना है. चीन के 10,000 अरब डॉलर के मुकाबले भारत की अर्थव्यवस्था 2,000 अरब डॉलर की है. विश्व बैंक के अनुसार इस साल भारत की विकास दर 7.5 प्रतिशत रहने की उम्मीद है जबकि चीन 7.1 प्रतिशत की दर से विकास करेगा. पिछले साल भारत की विकास दर 7.2 थी जबकि चीन की विकासदर 7.4 थी, जो पिछले 25 सालों में सबसे धीमी विकासदर थी.

यदि भारत खराब ढांचागत संरचना और नौकरशाही की समस्याओं का निबटारा कर पाता है तो उसके विकास में और तेजी आ सकती है. चीन ने अर्थव्यवस्था के और धीमा होने को रोकने के लिए ब्याज दरों में कटौती की है. दो दशकों के तेज आर्थिक विकास से चीन में लोगों की आय बढ़ी है लेकिन साथ ही पर्यावरण से संबंधित समस्याएं भी पैदा हुई है. ज्यादा रोजगार पैदा करने के लिए मैनुफैक्चरिंग उद्योग पर जोर दे रहा भारत, चीन के अनुभवों से सीख सकता है. चीन अर्थव्यवस्था के विकास के लिए सेवा उद्योग पर जोर दे रहा है.

नेपाल का पुनर्निर्माण

नेपाल में 25 अप्रैल को आए भयानक भूकंप के बाद भारत और चीन की प्रतिद्वंद्विता सामने आई. दोनों देशों ने वहां बड़े पैमाने पर मदद भेजी और देश के पुनर्निर्माण में दूरगामी मदद का आश्वासन दिया. नेपाल में प्रभाव के प्रतिस्पर्धा सालों से दिख रही थी जहां चीन रोड और हाइड्रोपॉवर डैम जैसी संरचनात्मक परियोजनाओं के जरिए नेपाल को लुभाने की कोशिश कर रहा था. 2014 में नेपाल में चीन का वार्षिक निवेश भारत से ज्यादा हो गया और चीन ने नेपाल को तिब्बत विरोधी प्रदर्शनों पर रोक लगाने के लिए मना लिया.

भारत और चीन के बीच स्थित नेपाल को उसका भूगोल रणनैतिक महत्व प्रदान करता है लेकिन वह तिब्बत के साथ लगी सीमा के कारण भारत और चीन को तनाव कम करने की संभावना भी देता है. नेपाल भारत और चीन के बीच साझा आर्थिक सहयोग की प्रयोगशाला बन सकता है. हिमालय के ग्लेशियरों से गलकर निकलने वाला पानी दोनों ही देशों की नदियों को पानी देता है और नेपाल की जलसंपदा इलाके के लिए अत्यंत अहम है.

एमजे/आरआर (एपी)