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तंजानिया में हीलियम का भंडार मिला

ओंकार सिंह जनौटी२९ जून २०१६

हवाई जहाज के टायरों में या अस्पताल में एमआरआई जैसी अहम मशीनों में इस्तेमाल होने वाली हीलियम गैस खत्म नहीं होगी. तंजानिया में हीलियम का विशाल भंडार मिला.

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Ballon-Starts in Chambley
तस्वीर: picture-alliance/dpa

भूगर्भशास्त्रियों ने तंजानिया में हुई खोज को बड़ी कामयाबी करार दिया है. अब तक यह महंगी गैस बहुत कम मात्रा में तेल की खुदाई के दौरान मिलती थी. हीलियम का इस्तेमाल बड़ी दूरबीनों, विकिरण मापने वाले यंत्रों, हवाई जहाज के पहियों, अंतरिक्ष यानों और एमआरआई स्कैनरों में किया जाता है. बहुत कम मात्रा में मिलने के बावजूद इसका व्यापक इस्तेमाल होता है. वैज्ञानिक चेतावनी दे चुके थे कि जल्द ही हीलियम की कमी पड़ सकती है. इसकी सप्लाई लगातार कम हो रही थी. यही वजह है कि बीते 15 सालों में हीलियम की कीमतों में 500 गुना तेजी आई.

नई तकनीक का इस्तेमाल करते हुए हीलियम का विशाल भंडार तंजानिया की ईस्ट अफ्रीकन रिफ्ट वैली में मिला है. वहां करीब 54 अरब घनमीटर हीलियम होने का अनुमान है. रिसर्चरों के मुताबिक इतनी गैस से 10 लाख से ज्यादा एमआरआई मशीनों में गैस भरी जा सकती है.

Kasachstan Landung ISS Crew-Mitglieder Tim Peake
अंतरिक्ष अभियानों और गोताखोरी जैसी कामों में भी हीलियम का अहम इस्तेमालतस्वीर: Getty Images/AFP/S. Zhumatov

असल में हीलियम प्राकृतिक तौर पर बेहद धीमी रफ्तार से बनती है. हाइड्रोजन के दो अणुओं से मिलकर बनने वाली यह गैस चट्टानों के रेडियोधर्मी क्षरण से बनती है. रिसर्च अभियान में हिस्सा लेने वाले डरहम यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जोन ग्लूयस के मुताबिक, "हीलियम ब्रह्मांड में सबसे ज्यादा पाये जाने वाले तत्वों में दूसरे नंबर पर है लेकिन इसके बावजूद धरती पर इसका मिलना दुर्लभ है." वैज्ञानिकों का मानना है कि ज्वालामुखीय गतिविधियां के कारण हीलियम प्राचीन चट्टानों के बीच फंसी हुई है.

रिसर्चरों के सामने अब तंजानिया की हीलियम को सुरक्षित ढंग से निकालने और संभाले रखने की चुनौती है. प्रोफेसर ग्लूयस के मुताबिक अगर हीलियम को लेकर सावधानी नहीं बरती गई तो गैस उसी तरह उड़ जाएगी जैसे हीलियम से भरा गुब्बारा पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल को चुनौती देता हुआ आकाश में गायब हो जाता है.