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तमिलनाडु चुनाव में वोटरों पर उपहारों की बरसात

प्रभाकर१३ मई २०१६

भारत के दक्षिणी राज्य तमिलनाडु में सोमवार को होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले वोटरों पर मुफ्त सामानों की बरसात हो रही है. सत्ता के दावेदार दोनों दलों ने वोटरों को लुभाने के लिए मुफ्त सामानों की बौछार कर दी है.

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All India Anna Dravida Munnetra Kazhagam ARCHIV 2011
तस्वीर: Dibyangshu Sarkar/AFP/Getty Images

देश के किसी राज्य में चुनावों के समय आम लोगों पर उपहारों की ऐसी बरसात नहीं होती. और इस बरसात के पीछे सत्ता के दावेदार दोनों दलों यानी जयललिता की अगुवाई वाले अन्नाद्रमुक और करुणानिधि के नेतृत्व वाले द्रमुक का हाथ है. 16 मई को राज्य की 234 विधानसभा सीटों के लिए मतदान हो रहा है. लेकिन पहली बार राजनीतिक दलों की उपहारों की रणनीति पर सवाल उठ रहे हैं.

अपने घोषणापत्रों में सत्तारूढ़ अन्नाद्रमुक ने जहां सत्ता में आने पर मोबाइल फोन और 100 यूनिट बिजली मुफ्त देने का वादा किया है वहीं द्रमुक ने मुफ्त 3जी-4जी कनेक्शन देने का भरोसा दिया है. राज्य में सत्तारुढ़ एआईडीएमके ने 227 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए हैं. जयललिता ने छोटे-बड़े कई क्षेत्रीय दलों के साथ तालमेल किया है. दूसरी ओर डीएमके ने भी कांग्रेस समेत कम से कम आधा दर्जन राजनीतिक दलों के साथ हाथ मिलाया है. डीएमके 176 सीटों पर चुनाव लड़ रही है और उसकी सबसे बड़ी सहयोगी कांग्रेस 41 पर. अभिनेता से नेता बने विजयकांत की पार्टी डीएमडीके भी 104 सीटों पर चुनाव लड़ रही है.

सौगातों की परंपरा

राज्य में चुनावों के मौके पर राजनीतिक दलों की ओर से मिक्सी से लेकर रंगीन टेलीविजन सेट तक बांटने की परंपरा रही है. अबकी भी अपवाद नहीं है. मुख्यमंत्री जे. जयललिती ने सत्ता में आने के बाद तमाम लोगों को टीवी सेट समेत विभिन्न उपहार देने का एलान किया है. इस मामले में उनकी प्रतिद्वंद्वी डीएमके भी पीछे नहीं है. वर्ष 2006 से 2011 के बीच सत्ता में रहे करुणनिधि ने गरीब परिवारों के लिए एक बीमा योजना शुरू की थी तो जयललिता ने सत्ता में रहने के दौरान अपने नाम पर दर्जनों अम्मा उत्पाद व योजनाएं शुरू कर दी. इनमें अम्मा कैंटीन से लेकर अम्मा पानी और अम्मा नमक तक शामिल है. राज्य में जयललिता को अम्मा कहा जाता है.

वोटरों को लुभाने के लिए मुफ्त सौगातों की इस बढ़ती होड़ से राजनीतिक पर्यवेक्षक और कई आम लोग परेशान हैं. यह पहला मौका है जब इस रणनीति की सरेआम आलोचना हो रही है. मुख्यमंत्री जयललिता बीते साल दिसंबर में चेन्नई में आई भयावह बाढ़ के दौरान बेहतर काम के लिए अपनी सरकार की पीठ थपथपाती हैं. लेकिन चेन्नई की आरके नगर सीट से मैदान में उतरी अम्मा के कई वोटर उनकी बातों से सहमत नहीं हैं. इलाके में एक दुकान के मालिक जेपी गोयल कहते हैं, "पहले तीन दिनों तक किसी ने हमारी सुध ही नहीं ली. सरकार बचाव के लिए तब आई जब बारिश के पानी ने हमारा सबकुछ लील लिया."

युवाओं का विरोध

युवा तबका भी राजनीतिक दलों की ओर से उपहार बांटने की इस परंपरा के खिलाफ है. एक कालेज छात्रा पी. कौशल्या कहती है, "अगर राजनीतिक दलों को मुफ्त में कुछ देना ही है तो हमें बेहतर नीतियां और भविष्य की योजनाएं दें. मुफ्त सामानों से जीवन नहीं चलता." एक अन्य युवती कहती है कि वोट के बदले मुफ्त सामान देना तो आम लोगों की गरीबी का मजाक उड़ाने की तरह है. यह तो वोटों की सरेआम खरीद का मामला है. चुनाव आयोग को ऐसी घोषणाओं पर अंकुश लगाना चाहिए. सरकारी नौकरी से रिटायर एम. गणेशन कहते हैं कि यह परंपरा और पांच साल जारी रही तो सरकारी खजाना खाली हो जाएगा. वह कहते हैं, "सरकार गरीबों को सब्सिडी दे सकती है, लेकिन मुफ्त उपहार क्यों?"

बीते कम से कम दो दशकों से राज्य में हर मुकाबला दो व्यक्तित्वों के बीच रहा है. यहां राजनीतिक दल हाशिए पर हैं. लोग अम्मा और करुणनिधि के बीच बंटे हैं. वर्ष 2014 में एक मामले में जयललिता के जेल में रहने के दौरान उनके एक दर्जन से ज्यादा समर्थकों ने आत्मदाह कर लिया था. पर्यवेक्षकों का कहना है कि यहां चुनावों में मुद्दे नहीं बल्कि व्यक्तित्व ही प्रमुख हैं. अबकी भी हालत पहले जैसी ही है. मुख्य लड़ाई जयललिता और करुणानिधि के व्यक्तित्व के बीच है. तमिलनाडु चुनावों पर नजर रखने वाले टी. मुरुगन कहते हैं कि यहां चुनावों में मुद्दों पर नहीं बल्कि नेताओं पर ही चर्चा होती है. जयललिता अपनी चुनावी रैलियों में कहती हैं कि मैं आपकी मां हूं और सिर्फ मां ही अपने बच्चों का दर्द समझ सकती है. इसके जवाब में करुणानिधि कहते हैं कि वह लोगों की तकलीफ समझते हैं. लेकिन उनके पास सत्ता नहीं है. आप मुझे सत्ता सौंपें. आपकी समस्याएं दूर हो जाएंगी.

इस साल का चुनाव यह दिखाएगा कि तमिलनाडु में ब्रांड बन चुकी अम्मा अपना करिश्मा दोहराने में कामयाब रहती हैं या फिर करुणानिधि इस उम्र में भी वापसी करने में सक्षम होंगे. वैसे, असम और पश्चिम बंगाल की तरह इस राज्य को अपने नए मुख्यमंत्री का नाम जानने के लिए ज्यादा इंतजार नहीं करना होगा. मतदान के तीसरे दिन ही नतीजे सामने होंगे.