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लुफ्थांसा की 3,800 उड़ानें रद्द

२ अप्रैल २०१४

लुफ्थांसा ने आज से तीन दिन की स्ट्राइक की घोषणा की है. हजारों अंतरराष्ट्रीय और अंतरराज्यीय फलाइटों पर स्ट्राइक का असर पड़ रहा है. इसे लुफ्थांसा के इतिहास में सबसे बड़ी हड़ताल माना जा रहा है.

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Lufthansa Streik
तस्वीर: picture-alliance/dpa

जर्मन ट्रेड यूनियन 'कॉकपिट' की इस हड़ताल से लुफ्थांसा, लुफ्थांसा कार्गो और जर्मनविंग्स की उड़ानों पर असर पड़ेगा. बुधवार रात बारह बजे से शुरू हुई यह हड़ताल शुक्रवार तक जारी रहेगी. इस से पहले पिछले हफ्ते ट्रेड यूनियन 'वैर्डी' की हड़ताल से भी हवाई यात्रा समेत देश भर के सार्वजनिक परिवहन पर बुरा असर पड़ा था.

सरकार इन हड़तालों से काफी नाखुश दिख रही है. परिवहन मंत्री आलेक्सांडर डोब्रिंट ने अखबार बिल्ड से बातचीत में कहा, "रोज रोज हड़ताल के कारण सैकड़ों हजारों लोगों पर असर पड़ता है." उन्होंने कहा कि यूनियन को आराम से बैठ कर इसका हल सोचना चाहिए.

पायलट यूनियन वेतन में बढ़ोतरी की मांग कर रहा है. यूनियन का कहना है कि सरकार पिछले दो साल से बातचीत तो कर रही है पर किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी. इसके अलावा सेवानिवृत्ति की उम्र को ले कर भी बहस चल रही है. लुफ्थांसा के पायलटों के पास यह विकल्प है कि वे 55 साल की उम्र में रिटायरमेंट ले कर बाकी के साल 60 फीसदी वेतन ले सकते हैं. लुफ्थांसा इस उम्र को बढ़ा कर 60 कर देना चाहती है. साथ ही कंपनी एंट्री लेवल पायलटों के लिए भी नियमों में बदलाव करना चाहती है ताकि सेवानिवृत्त लोगों को दिया जाने वाला पैसा वहीं से निकाला जा सके.

लुफ्थांसा की इस हड़ताल से 3.800 उड़ानें रद्द करनी पड़ी हैं और इसका असर सवा चार लाख लोगों पर पड़ रहा है. लेकिन समय से सूचना दिए जाने के कारण हवाई अड्डों पर अफरा तफरा का माहौल नहीं है. फ्रैंकफर्ट एयरपोर्ट के एक प्रवक्ता ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स से कहा, "फिलहाल सब कुछ ठीक ठाक चल रहा है. लोगों को सूचित किया जा चुका है. टर्मिनल में शांति का माहौल है."

प्रवक्ता ने बताया कि यात्रियों की सुविधा के लिए एयरपोर्ट पर कई जगह बिस्तर भी लगाए गए हैं ताकि अगर हड़ताल के कारण उन्हें हवाई अड्डे पर ही रुकना पड़े तो कोई परेशानी ना हो. साथ ही परिवारों और बच्चों के साथ यात्रा कर रहे लोगों का भी ध्यान रखा जा रहा है, "लेकिन ऐसे कम ही लोग हैं जो यहां आ गए क्योंकि उन्हें हड़ताल के बारे में पहले से कुछ पता नहीं था." म्यूनिख एयरपोर्ट और अन्य बड़े हवाईअड्डों पर भी माहौल ऐसा ही है.

आईबी/एएम (डीपीए, एएफपी, रॉयटर्स)