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तीसरे टेस्ट में जीत की उम्मीद: अमित मिश्रा

७ अगस्त २०१०

कोलंबो में तीसरे क्रिकेट टेस्ट मैच में भारत 257 रन के लक्ष्य का पीछा कर रहा है लेकिन उसके 53 रन पर तीन विकेट गिर चुके हैं. फिरकी गेंदबाज अमित मिश्रा को भरोसा है कि टीम इंडिया रोमांचक दौर में पहुंचे मैच को जीत लेगी.

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तस्वीर: AP

अमित मिश्रा को जीत का विश्वास भारतीय टीम की मजबूत बल्लेबाजी पंक्ति की वजह से है. लेकिन मुरली विजय, वीरेंद्र सहवाग और राहुल द्रविड़ पैवेलियन लौट चुके हैं और क्रीज पर सचिन तेंदुलकर और नाइट वॉचमैन ईशांत शर्मा हैं. भारत को जीत के लिए अभी 204 रन बनाने हैं और तेंदुलकर के अलावा उसके पास सुरेश रैना, वीवीएस लक्ष्मण और महेंद्र सिंह धोनी हैं. यानी लक्ष्य इतना बड़ा नहीं दिखाई दे रहा पर मैच के आखिरी दिन लक्ष्य का पीछा करने के दबाव में बिखरने का डर जरूर है.

शुक्रवार को तीन विकेट झटकने वाले युवा स्पिनर अमित मिश्रा फिलहाल आशंका में नहीं बल्कि विश्वास से भरे हैं. "मुझे लगता है कि अभी टीम के पास काफी बल्लेबाज हैं. अनुभवी खिलाड़ी बढ़िया खेल रहे हैं और हमें पूरा विश्वास है कि भारत को तीसरे टेस्ट मैच में जीत मिलेगी. शुरुआत में पिच पर खेलना मुश्किल है लेकिन एक बार नजरें जम जाने के बाद आसानी होती है. नई गेंद होने की वजह से थोड़ा दबाव जरूर है पर गेंद पुरानी पड़ने पर बल्लेबाजी और आसान हो जाएगी."

शनिवार को सचिन तेंदुलकर टेस्ट में भारत की जीत की उम्मीदों को आगे बढ़ाएंगे. वैसे भारत मैच को आसानी से अपनी झोली में डाल सकता था. श्रीलंकाई टीम के आठ विकेट दूसरी पारी में भारत ने 125 रन पर समेट दिए थे लेकिन थिलन समरवीरा (83 रन) और अजंता मेंडिस (78 रन) के बीच नवें विकेट के लिए 118 रन की साझेदारी हुई. दोनों बल्लेबाजों के शानदार प्रदर्शन के सहारे श्रीलंका ने भारत के सामने ठीक ठाक लक्ष्य रखा जो मुश्किल भी साबित हो सकता है.

अमित मिश्रा का कहना है कि शुरुआती विकेट जल्दी झटकने के बावजूद ऐसा हो जाता है क्योंकि इस तरह की बातें क्रिकेट का हिस्सा हैं. "हर कोई समझता है कि जब नई गेंद अपनी चमक खो देती है तो फिर धीमे विकेट पर बल्लेबाजी करना आसान हो जाता है." मिश्रा मानते हैं कि विकेट है ही ऐसा कि जमने के बाद पुछल्ले बल्लेबाज भी बड़ा स्कोर खड़ा कर सकते हैं. यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या भारत के बड़े बल्लेबाज छोटे लक्ष्य को हासिल कर पाते हैं या नहीं.

रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़

संपादन: महेश झा