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तीस सेकंड में चार्ज होगा फोन

१० अप्रैल २०१४

हर वक्त इंटरनेट से जुड़े रहने के कारण लोगों को स्मार्टफोन की लत तो लगने लगी है, पर साथ ही वे इसे कोसते भी खूब हैं. अक्सर सुनने को मिलता है की पुराने सीधे साधे फोन ही अच्छे थे जिनकी बैटरी कई कई दिन चल जाती थी.

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तस्वीर: STR/AFP/Getty Images

स्मार्टफोन को तो दिन में दो बार भी चार्ज करना पड़ जाता है. और बहुत से लोग ऐसे भी हैं जिनका फोन काम करते समय भी लगातार कंप्यूटर से जुड़ा रहता है ताकि चार्ज होता रहे. लड़कियों के बैग में अगर नजर डाली जाए तो मेकअप के सामान के साथ साथ फोन का चार्जर भी जरूर मिलेगा. कोई अपनी कार में फोन चार्ज करता है तो कोई मेक डॉनल्ड और स्टारबक्स में चार्जिंग प्वाइंट ढूंढता फिरता है.

इस्राएल की एक कंपनी ने अब इस समस्या का हल ढूंढ निकाला है. तेल अवीव स्थित एक स्टार्ट अप कंपनी स्टोरडॉट एक ऐसी बैटरी पर काम कर रही है जिसे कुल 30 सेकंड में चार्ज किया जा सकता है. कंपनी ने यूट्यूब पर एक वीडियो डाला है जिसमें सैमसंग के एक फोन को चार्ज कर के दिखाया जा रहा है.

वीडियो की शुरुआत में फोन की स्क्रीन पर 27 प्रतिशत बैटरी देखी जा सकती है. इसके बाद फोन को एक चार्जर से जोड़ा जाता है और देखते ही देखते कुछ सेकंडों में ही फोन पूरी तरह चार्ज हो जाता है. कंपनी के सीईओ डोरोन मायर्सडॉर्फ ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया की फिलहाल सैमसंग के गैलेक्सी फोन के मॉडलों पर टेस्ट किए जा रहे हैं लेकिन आने वाले समय में बाकी कंपनियों के स्मार्टफोन पर भी परीक्षण किए जाएंगे.

उन्होंने बताया कि 2016 तक हर स्मार्टफोन के लिए इस तरह के चार्जर बाजार में उपलब्ध होंगे. हालांकि सैमसंग या एप्पल, किसी ने भी अभी तक कंपनी से संपर्क नहीं किया है. निवेशकों का नाम ना बताने की शर्त पर उन्होंने बताया की पैसा चीन से आ रहा है.

इसके लिए किस तरह की तकनीक का इस्तेमाल हो रहा है, इस पर अभी ज्यादा जानकारी नहीं है. मायर्सडॉर्फ ने एएफपी को इतना बताया कि कंपनी इसके लिए बायो ऑर्गैनिक कंपाउंड का इस्तेमाल कर रही है जो अमीनो एसिड से बने हैं. इस एसिड से बने ये पेप्टाइड रासायनिक प्रतिक्रिया को तेज कर देते हैं और बहुत जल्द अतिरिक्त ऊर्जा बनने लगती है.

आज से कुछ साल पहले तक यह कल्पना नहीं की जा सकती थी कि सात समंदर पार रह कर भी हर वक्त अपनों से जुड़ा रहा जा सकता है. वक्त के साथ साथ तकनीक इस अनुभव को बेहतर बनाती जा रही है.

रिपोर्ट: ईशा भटिया (एएफपी)

संपादन: आभा मोंढे