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तुरत फुरत स्थायी सीट नहीं मिलेगीः अमेरिका

१६ नवम्बर २०१०

अमेरिका ने कहा है कि यूएन सुरक्षा परिषद में सुधारों के सिलसिले में तुरतफुरत बड़ी कामयाबी की उम्मीद नहीं करनी चाहिए. इससे स्थायी सीट के भारत के दावे को धक्का लगता है जिसका समर्थन हाल में राष्ट्रपति ओबामा ने किया.

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सुरक्षा परिषदतस्वीर: AP

सहायक अमेरिकी विदेश मंत्री रॉबर्ट ब्लैक ने साफ किया है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट के लिए भारतीय दावेदारी का समर्थन करने का फैसला राष्ट्रपति ओबामा ने आखिरी वक्त पर नहीं लिया, बल्कि यह बहुत सोचा समझा फैसला था. उनके मुताबिक इसे इसलिए गुपचुप रखा गया क्योंकि यह बड़ी खबर बनने वाली थी. राष्ट्रपति ओबामा ने अपने हालिया भारत दौरे में बिल्कुल आखिर में सुरक्षा परिषद में भारत के लिए स्थायी सीट का समर्थन किया.

ब्लैक ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए न्यूयॉर्क और वॉशिंगटन में पत्रकारों से बातचीत में कहा, "मुझे लगता है कि राष्ट्रपति और अन्य लोगों ने यह साफ कर दिया कि सुधारों में लंबा समय लगेगा और यह एक पेचीदा प्रक्रिया है. हम सुरक्षा परिषद में स्थायी और अस्थायी सदस्यों की संख्या में मामूली विस्तार चाहते हैं."

अमेरिकी सहायक विदेश मंत्री ने कहा कि वाकई यह बड़ा बदलाव है कि राष्ट्रपति ओबामा ने 15 सदस्यों वाली सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता के लिए भारत की दावेदारी का समर्थन किया है, लेकिन यह नहीं भूलना चाहिए कि यह एक लंबी और जटिल प्रक्रिया है. ब्लैक ने साफ किया कि भारत की दावेदारी का समर्थन करने के लिए कोई शर्त नहीं लगाई गई है. उनके मुताबिक, "नहीं, किसी भी तरह की कोई शर्त नहीं है."

उन्होंने पाकिस्तान, चीन और आतंकवाद से जुड़े कई और सवालों का भी जवाब दिया. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान का इसी में हित है कि वह आतंकवाद के खिलाफ कदम उठाए. उनके मुताबिक, "राष्ट्रपति ओबामा की राय बिल्कुल साफ है कि अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद की मुख्य पीड़ित पाकिस्तान ही है. इसीलिए यह सबसे ज्यादा उसी के हित में है कि ऐसे गुटों के खिलाफ कार्रवाई की जाए जो मिल कर कार्रवाई कर रहे हैं और उनके बीच अंतर करना बहुत ही मुश्किल है."

ब्लैक ने साफ किया कि भारत अमेरिकी संबंधों को मजबूत करने की ओबामा की इच्छा का मकसद चीन को नियंत्रित करना बिल्कुल नहीं है. वह कहते हैं, "मुझे तो नहीं लगता कि राष्ट्रपति ओबामा के तीन दिन के दौरे में आपने किसी को यह कहते हुए सुना होगा कि हम चीन को किसी तरह से नियंत्रित करना चाहते हैं." परमाणु मुद्दों पर ब्लैक ने कहा कि अमेरिका भारत को परमाणु अप्रसार की कोशिशों में बड़े साझीदार के तौर पर देखता है.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार

संपादनः प्रिया एसेलबोर्न

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