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तुर्की में लगेगा सोशल मीडिया पर प्रतिबंध

७ मार्च २०१४

तुर्की में प्रधानमंत्री रेचेप तय्यप एर्दोआन इस महीने होने वाले स्थानीय चुनाव के बाद फेसबुक और यूट्यूब पर रोक लगाने की तैयार में हैं. फोन टैपिंग मामले में उनकी बातचीत सामने आने के बाद वे ऐसा करने जा रहे हैं.

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तस्वीर: Fotolia/m.schuckart

गुरूवार को देर रात टीवी पर दिए एक इंटरव्यू में एर्दोआन ने कहा, "हम यूट्यूब और फेसबुक को अपने देश का विनाश नहीं करने देंगे. हम सख्त कदम उठाएंगे, बंद करना पड़ा तो वह भी करेंगे." एर्दोआन पहले भी सोशल मीडिया के खिलाफ बयान देते रहे हैं. तुर्की में पहले भी दो साल तक यूट्यूब पर रोक लगी रही. कुछ समय पहले ही उसे फिर से शुरू करने की अनुमति दी गयी थी.

दरअसल हाल ही में यूट्यूब पर एर्दोआन की पांच फोन रिकॉर्डिंग लीक हुई हैं. इनमें से एक में उन्हें एक अखबार के मालिक पर चिल्लाते हुए सुना गया क्योंकि अखबार में एर्दोआन के खिलाफ खबर छपी थी. एर्दोआन मांग कर रहे थे कि खबर लिखने वाले पत्रकार को नौकरी से निकाल दिया जाए, "क्या आप किसी ऐसे इंसान को अपने दफ्तर में जगह देंगे जो वहां अपमानजनक चीजें करे? क्या आप उसे और एक घंटे के लिए भी वहां रहने दे सकते हैं?" इस बातचीत के अंत में अखबार के मालिक को रोते हुए सुना गया.

इसके अलावा एक अन्य रिकॉर्डिंग में उन्हें उस समय के न्याय मंत्री सादुल्लाह एरगिन से बात करते हुए सुना गया जिसमें वे एक अदालती कार्यवाही में हो रही देरी की वजह पूछ रहे हैं. एरगिन जवाब में कहते हैं, "जज अलवी है, इसलिए." अलवी समुदाय के लोगों ने इसे अपमानजनक बताया है. अलवी लेखक काफिर सोलगुन ने इस बारे में कहा, "सरकार पहले ही अधिकतर अलवी लोगों को सरकारी नौकरियों से निकाल चुकी है, अब ना तो वे सेना में है और ना ही कानून से जुड़े हैं. और इस रिकॉर्डिंग से तो साफ पता चलता है कि सरकार कहीं भी अलवियों को देखना नहीं चाहती." सरकारी आंकड़े बताते हैं कि पिछले साल जून में एर्दोआन के खिलाफ जो प्रदर्शन हुए उनमें 78 फीसदी लोग अलवी समुदाय के थे. इनमें मारे जाने वाले कुल आठ में से छह लोग भी अलवी ही थे.

Türkei Erdogan Wahlkampf
तस्वीर: picture-alliance/AP

'अनैतिकता को बढ़ावा'

रिकॉर्डिंग लीक होने के बाद सरकार ने इसे विपक्षी इस्लामी नेता फतहुल्लाह गुलेन के समर्थकों की साजिश बताया है. गुलेन कभी एर्दोआन के समर्थक हुआ करते थे, पर अब दोनों के बीच राजनीतिक दुश्मनी है. एर्दोआन ने कहा है कि टेप फर्जी है और गुलेन के कहने पर उन्हें बदनाम करने के लिए उन्हें बनाया गया है. तुर्की के चैनल एटीवी को दिए इंटरव्यू में जब एर्दोआन से पूछा गया कि क्या चुनावों के बाद सोशल मीडिया के खिलाफ उठाए जाने वाले कदमों में उन पर रोक लगा देना भी शामिल है तो उन्होंने कहा, "बिलकुल शामिल है, क्योंकि ये लोग और ये संस्थाएं अपने फायदे के लिए हर तरह से अनैतिकता और जासूसी को बढ़ावा दे रहे हैं."

हालांकि फेसबुक और यूट्यूब की तरफ से अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है लेकिन लोगों में गुस्सा देखा जा सकता है. सोशल मीडिया पर चल रही टिप्पणियों में बहुत से लोगों ने कहा है कि प्रधानमंत्री ट्विटर के बारे में कुछ भी कहना भूल गए. वहीं संचार मंत्री लुत्फु एल्वन ने सरकार के फैसले का समर्थन करते हुए कहा है, "हम देश के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति की तौहीन होते हुए देख रहे हैं, अवैध वीडियो अपलोड किए जा रहे हैं, और हमें इस सब से कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए? असली दुनिया में जो चीजें अपराध हैं, साइबर दुनिया में भी उन्हें अपराध ही माना जाएगा."

हालांकि अब तक इस बात की पुष्टि नहीं की गयी है कि रिकॉर्डिंग में आवाज प्रधानमंत्री की ही है, पर सोशल मीडिया पर इस बात को ले कर चर्चा चल रही है कि देश का सर्वोच्च नेता कितना भ्रष्ट है और किस तरह से मीडिया पर काबू पाने की कोशिश कर रहा है. तुर्की में 30 मार्च को चुनाव होने हैं और इन्हें प्रधानमंत्री एर्दोआन और उनकी जस्टिस एंड डेवेलपमेंट पार्टी की परीक्षा के रूप में देखा जा रहा है.

आईबी/एमजे (रॉयटर्स, एएफपी)