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थाइलैंडः प्रधानमंत्री के इस्तीफे पर अड़ा विपक्ष

३ फ़रवरी २०१४

थाइलैंड में रविवार को हुए चुनावों के बाद भी विरोध थमता नजर नहीं आ रहा. सरकार विरोधी प्रदर्शनकारी प्रधानमंत्री यिंगलक चिनावट को सत्ता से बाहर फेंकना चाहते हैं. लंबे अर्से से थाइलैंड में राजनीतिक अस्थिरता बनी हुई है.

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Thailand Proteste Demonstranten Plakat Banner Schild Wahlen Wahl 2.2.2014
तस्वीर: Paula Bronstein/Getty Images

बीते कई हफ्तों से जारी विरोध प्रदर्शनों को खत्म करने के इरादे से रविवार को थाईलैंड में आम चुनाव कराए गए लेकिन सरकार विरोधी प्रधानमंत्री यिंगलक चिनावट के इस्तीफे की मांग पर अड़े हुए हैं. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि चिनावट इस्तीफा दें और जन परिषद की स्थापना के लिए रास्ता खाली करें. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि इससे देश की राजनीतिक प्रणाली में बदलाव आएगा. रविवार को हुए चुनावों का थाईलैंड की मुख्य विपक्षी पार्टी ने बहिष्कार किया था. चुनावों के बाद ऐसी संभावना है कि चिनावट सत्ता में वापस आ जाएंगी. चुनाव के दौरान उत्तर और उत्तर पूर्व इलाके शांत रहे. इसमें कोई शक नहीं कि चिनावट के समर्थक इसको देखते हुए वैध जनादेश का दावा करेंगे. ऐसा लगता नहीं है कि पर्यटकों और निवेशकों के बीच लोकप्रिय थाईलैंड में मतदान के बाद हालात बदलेंगे.

इस्तीफे पर अड़े

विपक्ष के नेता सुथेप थागसुबान ने पिछले साल नवंबर महीने से ही बैंकॉक में मोर्चा खोले हुआ है. थागसुबान चिनावट को सत्ता से बेदखल करना चाहते हैं. थागसुबान ने रविवार को अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए कहा, "मुझे पूरा भरोसा है कि इस चुनाव से नई सरकार का गठन नहीं होने जा रहा. हम एक बार फिर बैंकॉक में एक साथ जुटेंगे, लेकिन उससे पहले हम चिनावट और दूसरे मंत्रियों से निपटेंगे. हम उनके घरों को घेर लेंगे." रविवार को हुए चुनाव में देश भर के 18 फीसदी निर्वाचन क्षेत्र में चुनाव कार्य बाधा पहुंची. चुनाव आयोग ने न तो मतदान की फीसदी और ना ही नतीजों का अब तक ऐलान किया है.

सियाम इंटिलिजेंस यूनिट थिंक टैंक के निदेशक कान युआनयोंग के मुताबिक, "दो महीने से ज्यादा समय से विरोध प्रदर्शन के बाद हुए चुनाव में चिनावट की स्थिति मजबूत होगी. लेकिन उनकी मुसीबतें खत्म नहीं हुई हैं. संघर्ष इसी तरह से चलता रहेगा और हिंसा के भी बढ़ने की आशंका है."

अस्थिरता के बादल

चिनावट के मुताबिक देश में चुनाव का होना सकारात्मक संकेत है लेकिन स्थायी समाधान की जरूरत है. चिनावट कहती हैं, "यह चुनाव लोकतांत्रिक प्रक्रिया का हिस्सा है. मुझे उम्मीद है कि सभी वर्ग देश की समस्या को दूर करने के लिए मदद कर पाएंगे." 2001 से 2006 तक थाइलैंड के प्रधानमंत्री रह चुके थकसिन चिनावट पर विरोधी यह कहकर हमला करते हैं कि उन्होंने लोकलुभावन राजनीति करके नाजुक लोकतंत्र को नष्ट किया है. थकसिन सत्ता के दुरुपयोग के दोषी करार दिए जा चुके हैं. इसके लिए उन्हें दो साल की सजा भी सुनाई गई है. कार्यकाल के दौरान उन पर भ्रष्टाचार और गलत नियुक्तियों के आरोप भी लगे. 2006 में सैन्य तख्तापलट के बाद उन्हें थाइलैंड से भागना पड़ा. 2008 में सजा सुनाये जाने के बाद से वह विदेश में रह रहे हैं.

एए/आईबी (रॉयटर्स, एपी)

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