1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

दर्दनाक जंग की दास्तान है सू ची का सफरनामा

१३ नवम्बर २०१०

इंग्लैंड में घर संभालने वाली एक सामान्य पारीवारिक महिला का म्यांमार में लोकतांत्रिक नेता और फिर दुनिया के सबसे मशहूर कैदी तक का सफर तानाशाही के खिलाफ दर्दनाक जंग की दास्तान तो है ही, लोकतंत्र के लिए जीत का संकेत भी है.

https://p.dw.com/p/Q7tz
तस्वीर: picture alliance/dpa

पिछले 21 में से 15 साल सू ची ने कैद में गुजारे हैं. आज वह 65 साल की हैं. लेकिन शनिवार को जब उन्हें घर में नजरबंदी से रिहा किया गया तो उनकी आंखों में जज्बा वही चमक रहा था जो संघर्ष की शुरुआत में हुआ करता था. उनके पहले शब्दों ने यही बयान किया जब उन्होंने निकलते ही अपने समर्थकों से कहा कि जंग जारी रखनी है.

Aung San Suu Kyi
जबर्दस्त जनसमर्थनतस्वीर: AP

दुबली पतली सी और बहुत ही नरम तरीके से बात करने वालीं इस योद्धा ने 1991 में शांति के लिए नोबल पुरस्कार जीता है. वह एक नेता के स्तर से इतना ऊपर उठ चुकी हैं कि उनके देश में जाकर आप सिर्फ द लेडी कह दीजिए तो लोग समझ जाएंगे आप किसकी बात कर रहे हैं.

1990 में उनकी पार्टी नेशनल लीग फॉर डेमोक्रैसी (एनएलडी) ने चुनाव जीते लेकिन उन्हें सत्ता कभी नहीं सौंपी गई बल्कि सू ची को नजरबंद कर दिया गया. पिछली बार उन्हें मई 2002 में रिहा किया गया था. रिहा होते ही सू ची अपने देश की यात्रा पर निकल पड़ीं जहां उन्हें जबर्दस्त समर्थन मिला. 30 मई 2003 को उनके कारवां पर हमला हुआ. कहा जाता है कि इस हमले में 70 से ज्यादा लोग मारे गए.

Aung San Suu Kyi Freilassung nach 12 Monaten Hausarrest
आम गृहिणी से लोकतंत्र की आवाज बनने का सफरतस्वीर: AP

सैन्य शासन ने इस हमले की जिम्मेदारी सू ची पर डाल दी और उन्हें अनजान जगह पर नजरबंद कर दिया गया. सितंबर 2003 में उनका एक बड़ा ऑपरेशन हुआ जिसके बाद उन्हें उनके घर में ही बंद रखने का फैसला किया गया.

सू ची ने अपनी जिंदगी का एक बड़ा हिस्सा विदेशों में गुजारा है. 1998 के अप्रैल में वह अपनी बीमार मां को देखने के लिए देश लौटीं. उस वक्त देश सैन्य शासन के खिलाफ उबल रहा था. जगह जगह लोकतंत्र के समर्थन में प्रदर्शन हो रहे थे. पहले बार उन्होंने राजधानी रंगून के ऐतिहासिक श्वेदागोन पगोडा में 26 अगस्त 1988 को भाषण दिया. लोग कहते हैं कि उन्हें देखते ही उनके पिता और राष्ट्रीय हीरो जनरल आंग सान की याद आई. बस इस भाषण के बाद सू ची रुक नहीं पाईं और जंग में कूद पड़ीं. उन्होंने उस भाषण में कहा, "अपने पिता की बेटी होने के नाते, मैं जो कुछ हो रहा है उसे नजरअंदाज नहीं कर सकती."

Aung San Suu Kyi Flash-Galerie
तस्वीर: picture-alliance/ dpa

सैन्य शासन ने इस आंदोलन को क्रूरता के साथ कुचला. हजारों लोगों को मार दिया गया. हजारों लोगों को जेल में डाल दिया गया. 1989 में सू ची ने वह किया जिसके बारे में लोग अकेले में बात करते भी डरते थे. उन्होंने तानाशाह ने विन पर निशाना साधा और उनकी सार्वजनिक रूप से आलोचना की. इस भाषण के बाद उनकी जिंदगी अलग राह पर चल पड़ी. 19 जुलाई 1989 को उन्हें पहली बार घर में नजरबंद किया गया. वह छह साल तक नजरबंद रहीं और तब से उनका ज्यादातर वक्त घर की चार दीवारी में ही पढ़ते या पियानो बजाते गुजरा.

Myanmar Aung San Suu Kyi Haus Arrest
घर में ही नजरबंद रहींतस्वीर: AP

लेकिन जब जब सू ची रिहा हुईं, उनकी आवाज ने सैन्य शासन की चूलें हिला दीं. और इसी साल इसका सबसे ज्यादा असर देखने को मिला जब देश में 20 साल बाद लोकतांत्रिक चुनाव हुए. हालांकि इन चुनावों में सत्ता समर्थक पार्टी ही जीती है और ज्यादातर देश इन चुनावों को खारिज करते हैं लेकिन सू ची के लिए राह तो साफ हो ही गई है.

रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार

संपादनः एन रंजन

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी