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दर दर भटकते स्वतंत्रता सेनानी को मिला इंसाफ

१२ अगस्त २०१०

तमिलनाडु में एक स्वतंत्रता सेनानी अपनी पेंशन के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाते लगाते जब थक गए तो उन्होंने अदालत का दरवाजा खटखटाया. हाई कोर्ट ने तुरंत मामले में दखल दिया और उन्हें इंसाफ मिला.

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तब लाठी, अब ठोकरेंतस्वीर: AP

मद्रास हाई कोर्ट ने स्वतंत्रता सेनानी वी लोगानाथन को हुई पीड़ा को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है और केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि उनकी मांग पर विचार किया जाए और 50 हजार रुपये की राशि दी जाए.

जस्टिस एस नागामुथु ने वी लोगानाथन की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा, "यह बड़े दुर्भाग्य की बात है कि एक जीवित स्वतंत्रता सेनानी को अपनी पेंशन के लिए दर दर भटकना पड़ रहा है. ऐसे स्वतंत्रता सेनानी को, जिसने 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में हिस्सा लिया और अपने जीवन का मूल्यवान समय जेल में गुजारा."

लोगानाथन ने 1994 से केंद्र और राज्य सरकार के पास अपनी पेंशन के भुगतान के लिए कई बार अर्जियां भेजीं. यह पेंशन उन्हें 1980 की स्वतंत्रता सैनिक सम्मान पेंशन योजना के तहत मिली. जज ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि दो महीने के अंदर लोगानाथन के दावे और तमिलनाडु सरकार की सिफारिश पर विचार किया जाए और उन्हें 50 हजार रुपये की राशि दी जाए.

जज ने हाई कोर्ट रजिस्ट्री को भी निर्देश दिया कि दो महीने बाद लोगानाथन की याचिका को सुनवाई लिए सूचीबद्ध किया जाए ताकि यह पता चल सके कि पेंशन की राशि मिली या नहीं.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार

संपादनः वी कुमार