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दाढ़ी बाल मुंडाते तालिबान

८ जुलाई २०१४

पाकिस्तान के उत्तरी वजीरिस्तान में तालिबान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई शुरू होने के बाद से आजम खान की बाल काटने की दुकान में भीड़ लगी रहती है. सैकड़ों तालिबान लड़ाके दाढ़ी मुंडवाने औरबाल कटाने आ रहे हैं ताकि पहचाने न जाएं.

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तस्वीर: Getty Images

आजम खान की दुकान उत्तरी वजीरिस्तान के मीरानशाह इलाके की मशहूर दुकान हुआ करती थी. यह इलाका पाकिस्तानी सीमा से सटे कबायली इलाके में है. जून में हवाई हमले के बाद पाकिस्तानी सेना ने तहरीक ए तालिबान के खिलाफ उत्तरी वजीरिस्तान में जमीनी कार्रवाई शुरू की. तब से अब तक करीब सात लाख लोग बेघर हो चुके हैं. आजम भी इन्हीं में से एक हैं.

उन्होंने बताया सैन्य कार्रवाई के शुरू होते ही उनका कारोबार रातोरात बढ़ गया. तालिबानी लड़ाके सेना से अपनी पहचान को छुपाने के लिए हुलिया बदल रहे हैं. वे अपनी लंबी दाढ़ी वाली पहचान मिटाना चाहते हैं. उन्होंने बताया, "मैंने करीब 700 स्थानीय और उज्बेक लड़ाकों की दाढ़ी और बाल काटे हैं." अब उनकी दुकान एक दूसरे कस्बे बन्नू में है, जहां उत्तरी वजीरिस्तान से लाखों विस्थापित पहुंचे हैं.

Pakistan Massenflucht aus Nord-Waziristan vor Offensive gegen Islamisten
तस्वीर: Reuters

कई सालों से तालिबान लड़ाके तहरीके तालिबान के अपने पुराने नेता हकीमुल्लाह मसूद के नक्शे कदम पर लंबे बाल और दाढ़ी रखते आए हैं. लेकिन नवंबर में मसूद के मारे जाने के बाद इसमें तब्दीली हुई. आजम खान ने बताया, "वही नेता बाद में अपने बाल और दाढ़ी बहुत छोटी कटवाने के लिए आने लगे. उनका कहना था कि वे खाड़ी के देशों में जाने वाले हैं और नहीं चाहते कि पाकिस्तान हवाई अड्डे पर किसी तरह की परेशानी खड़ी हो."

यहां तक कि उज्बेक और ताजिक लड़ाके भी उनके पास यही फरमाइश लेकर आते हैं, जो कि ठीक से उनकी भाषा भी नहीं बोल पाते हैं. टूटी फूटी भाषा में वे कहते थे कि उनकी दाढ़ी सिरे से साफ कर दी जाए ताकि वे इस्लामाबाद जा सकें.

Pakistan Massenflucht aus Nord-Waziristan vor Offensive gegen Islamisten
तस्वीर: Reuters

अफगानिस्तान का पहाड़ी इलाका सालों से अल कायदा और तहरीक ए तालिबान जैसे इस्लामी कट्टरपंथी संगठनों का गढ़ रहा है. उत्तरी वजीरिस्तान के लोग सालों तक तालिबान के खिलाफ मुंह बंद कर जीते रहे. तालिबान के खिलाफ जुबान खोलने का मतलब अगवा कर लिया जाना या फिर मार दिया जाना. लेकिन जून में पाकिस्तानी सेना द्वारा जमीनी कार्रवाई शुरू किए जाने के बाद से लोगों में बात करने की थोड़ी हिम्मत आई है.

एसएफ/एएम (एएफपी)