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दिखा स्मोकिंग का एक और भयानक खतरा

४ नवम्बर २०१६

बीड़ी सिगरेट का धुआं शरीर में कैंसर ही नहीं पैदा करता है, डीएनए तक बदल देता है. नए शोध में धूम्रपान के और भयानक खतरों के बारे में पता चला है.

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तस्वीर: picture-alliance/W. Rothermel

धूम्रपान कैंसर की वजह है, यह तो बात सामने आती ही रही है लेकिन अब रिसर्चर देख रहे हैं कि इस धुएं का असर शरीर के उन हिस्सों पर कैसा होता है जहां धुआं सीधा नहीं पहुंचता, जैसे कि लिवर या ब्लैडर आदि. और इस रिसर्च में कई हैरतअंगेज बातें पता चल रही हैं. ऐसे संकेत मिले हैं कि बीड़ी-सिगरेट का धुआं इंसान के डीएनए तक पर हमला करता है और अपने निशान पीछे छोड़ जाता है.

विज्ञान पत्रिका साइंस में एक शोध रिपोर्ट छपी है. यह रिपोर्ट बताती है कि डीएनए को कैसे नुकसान पहुंच रहा है. ब्रिटेन के वेलकम ट्रस्ट सांगर इंस्टीट्यूट और अमेरिका के लॉस अलामोस नेशनल लेबोरेट्री के शोधकर्ताओं ने पांच हजार ट्यूमर्स का अध्ययन किया. धूम्रपान करने वाले लोगों के ट्यूमर की तुलना उनके ट्यूमर से की गई जिन्होंने कभी धूम्रपान नहीं किया था. शोधकर्ताओं ने पाया कि धूम्रपान करने वालों के डीएनए में कुछ ऐसे निशान थे जो दूसरों में नहीं थे. यानी डीएनए में धुआं अपने निशान छोड़ चुका था.

यह बात पहले से ही पता है कि धुआं शरीर के अंदर कोशिकाओं से छेड़छाड़ करता है. लेकिन अब पता चल रहा है कि ऐसे असर भी होते हैं जो प्रत्यक्ष नहीं होते. किंग्स कॉलेज लंदन के प्रोफेसर डेव फिलिप इस अध्ययन में शामिल रहे हैं. वह कहते हैं, "जो नतीजे हमें मिले हैं उनमें से कुछ की तो हम उम्मीद कर ही रहे थे लेकिन कुछ नतीजे उम्मीदों से इतर भी हैं. इनसे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष असर की एक साफ तस्वीर मिलती है."

शोधकर्ताओं को पता चला है कि जो कोशिकाएं धुएं के प्रत्यक्ष संपर्क में आती हैं उनके डीएनए में सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचता है.

रिचर्ड कॉनर/वीके