दिल्ली सबसे प्रदूषित शहर: डब्ल्यूएचओ
८ मई २०१४जेनेवा में पत्रकारों के सामने शहरी वायु गुणवत्ता पर रिपोर्ट पेश करते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन के सार्वजनिक स्वास्थ्य की निदेशक मारिया नीरा ने कहा, "विश्वभर में वायु प्रदूषण की स्थिति बिगड़ती जा रही है." एम्बिएंट एयर पॉल्यूशन नामक इस रिपोर्ट के वर्ष 2014 के संस्करण में 91 देशों के करीब 1,600 शहरों में वायु प्रदूषण की स्थिति का ब्यौरा दिया गया है. इससे पता चलता है कि डब्ल्यूएचओ द्वारा वायु की गुणवत्ता के लिए तय किए गए दिशानिर्देशों के तहत दुनिया की सिर्फ 12 फीसदी शहरी आबादी ही इसका लाभ ले पा रही है.
37 लाख मौतें
जबकि कई अमीर और विकसित देशों में बेहतर हवा की गुणवत्ता पाई जा रही है. सबसे कम और मध्यम आय वाले देशों के शहरों में हाल के सालों में प्रदूषण का स्तर बढ़ा है. डब्ल्यूएचओ के मुताबिक वास्तव में विश्व की आधी शहरी आबादी ऐसी प्रदूषित हवा इस्तेमाल करने को मजबूर है, जो डब्ल्यूएचओ द्वारा सुरक्षित माने जाने वाले स्तर से कम से कम ढाई गुणा ज्यादा है. सिर्फ विकसित देशों के शहर बेहतर नजर आ रहे हैं. डब्ल्यूएचओ की सहायक महानिदेशक फ्लावियो बुस्त्रयो के मुताबिक, "कई शहर इस तरह से खराब हवा की चपेट में है कि आसमान मुश्किल से दिखता है."
डब्ल्यूएचओ ने वायु प्रदूषण से होने वाले स्वास्थ्य जोखिम के बारे में ज्यादा जागरूकता बढ़ाने की अपील की है. इसी साल मार्च में डब्ल्यूएचओ ने एक रिपोर्ट जारी की, जिसमें कहा गया था कि साल 2012 में घर के बाहर वायु प्रदूषण के कारण दुनिया भर में 37 लाख लोगों की मौत हुई थी. नीरा के मुताबिक, "वायु प्रदूषण नाटकीय रूप से हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है."
कैसे लेंगे सांस
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 2011 में हवा में मौजूद कणों की सीमा 20 रखी थी. इन कणों की चौड़ाई 10 माइक्रोमीटर है और इसलिए इन्हें पार्टिकुलेट मैटर या पीएम 10 कहा जाता है. 10 माइक्रोन से कम माप वाले पीएम में हवा में मौजूद हो सकते हैं और सांस लेने में समस्या पैदा कर सकते हैं.
सबसे ज्यादा खतरनाक 2.5 माइक्रोन से छोटे पार्टिकल हैं जो सांस के साथ अंदर जाते हैं. वे इतने छोटे होते हैं कि सांस द्वारा फेफड़ों तक पहुंच जाते हैं और खून में भी चले जाते हैं. डब्ल्यूएचओ के मानक के अनुसार पीएम 2.5 की सघनता प्रति घन मीटर 10 माइक्रोग्राम से ज्यादा नहीं होना चाहिए.
डब्ल्यूएचओ के मुताबिक दिल्ली की हवा में पीएम 2.5 सबसे ज्यादा पाया गया है. पीएम 2.5 की सघनता 153 माइक्रोग्राम और पीएम 10 की सघनता 286 माइक्रोग्राम तक पहुंच गई है जो कि स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक है. एशिया के दूसरे सघन आबादी वाले शहरों में भी दिल्ली के मुकाबले वायु प्रदूषण कम है. पाकिस्तान के कराची में यह 117 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर है, जबकि चीन के बीजिंग में 56 और शंघाई में 36 है.
एए/आईबी (एपी/रॉयटर्स)