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गैजेट्स बिना जीना नहीं

१० मई २०१४

दिन भर सोशल मीडिया पर अपनी तसवीरें, पसंदीदा फिल्मों और म्यूजिक की जानकारी दे कर हम इंटरनेट से 'कनेक्टेड' ही रहते हैं. पर क्या आप चाहेंगे कि आपकी हर गतिविधि पर नजर रखी जाए? मिलिए दुनिया के सबसे कनेक्टेड इंसान से.

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तस्वीर: Chris Dancy

डैंसी हर दिन 300 से 700 अलग अलग उपकरणों की मदद से अपने बारे में तमाम आंकड़े जुटाते हैं. उन्हें लगता है कि इस तरह वे ज्यादा फिट और सफल बन पाए हैं. अमेरिका के क्रिस डैंसी अपने दिन की हर छोटी बड़ी हरकत का डिजिटल रूप में लेखा जोखा रखते हैं. डेंवर में रहने वाले 45 साल के आइटी एक्सपर्ट डैंसी से ऐसा करने के कारण और फायदों के बारे में बातचीत की डीडब्ल्यू के आंद्रे लेस्ली ने.

डीडब्ल्यू: आपका एक साधारण दिन कैसा होता है? क्या कनेक्टेड रहने के लिए आप कुछ उपकरणों को अपने शरीर से जोड़ कर भी रखते हैं?

क्रिस डैंसी: कुछ ऐसे डिवाइस हैं जिन्हें मैं अपने शरीर पर पहनता हूं. दूसरी ओर कुछ ऐसे सेंसर और उपकरण हैं जो मेरे आसपास रहते हैं. ये दोनों तरह की चीजें आपस में एक सामंजस्य बिठा कर काम करती हैं. मेरे घर पर लगे सेंसर आसपास की हवा, प्रकाश, आर्द्रता और तापमान जैसी चीजें मापते रहते हैं. ज्यादातर लोगों तो लगता होगा कि पहनने वाले उपकरणों में कलाई पर पहने जाने वाली 'फिटबिट' या ऐसी कोई चीज होगी, जो आपकी शारीरिक गतिविधियों से जुड़ी जानकारी दर्ज करती है. लेकिन दिखने में किसी गहने जैसी लगने वाली 'नेरेटिव कैमरा' जैसी चीजें भी होती हैं, जिन्हें कपड़ों पर क्लिप की तरह लगाया जा सकता है. यह हर कुछ मिनट में अपने आप फोटो लेती रहती है. मैं अपने सीने के पास दिल की धड़कन को नापने वाला मॉनिटर भी पहनता हूं.

Chris Dancy
तस्वीर: Chris Dancy

इसके अलावा अपनी कमर के पास मैं 'लूमो बैक' पहनता हूं, जिससे मुझे अपना पोश्चर सही रखने में मदद मिलती है. आप पहले से उसमें अपनी मनचाही सेटिंग कर देते हैं. अगर आप ज्यादा झुकने लगें तो आपको इस गैजेट में हुई एक हल्की सी हरकत या कंपन से तुरंत संदेश मिल जाएगा. इसके अलावा गूगल ग्लासेज और एक पेबल वॉच तो है ही. हर दिन औसतन मेरे शरीर पर ऐसी दस चीजें होती हैं जो या तो जानकारी जमा कर रही हैं या जानकारी दे रही हैं.

यह सब करने का मकसद क्या है? इस तरह की जिंदगी जीने से आपका जीवन किस तरह बेहतर होता है?

पांच साल से यह करते करते अब तो मुझे इस बारे में ज्यादा सोचना नहीं पड़ता. शुरु में ये सब थोड़ा मुश्किल था, जब मुझे बड़ी मेहनत से सारे डाटा को देखना पड़ता था और उनके बीच के संबंध को समझना होता था. एक बार जब मैं यह समझ गया, फिर उसके हिसाब से मैंने अपने जीवन में सुधार लाना शुरु कर सका. ये बदलाव अच्छी आदतें डालने के लिए था, जैसे कि सही खाना, ज्यादा एक्टिव रहना, ध्यान करना, दया रखना और उन चीजों को कर पाना जिन्हें मैं टालता आया था.

आपको इस तरह का 'कनेक्टेड' जीवन जीते हुए अब काफी समय हो गया. आपके दोस्तों और परिवारजनों की इस तरह के जीवन पर क्या प्रतिक्रिया रहती है?

उन्हें काफी समय लगा. कुछ तो आज भी नहीं समझते. कुछ ऐसे भी हैं जो खुद भी मेरे जैसा करना चाहते हैं. जब मैं किसी नए इंसान से मिलता हूं तो कोशिश करता हूं कि शुरू में ही उसे सब कुछ ना बताऊं, वरना सबसे पहले वे पूछते हैं कि क्या उनकी मेरे साथ बातचीत भी रिकॉर्ड हो रही है. वे यह नहीं समझते कि असल में हर कोई हर वक्त रिकॉर्ड किया जा रहा है. अमेरिका में जब आप घर से निकलते हैं, तो सड़कों पर ट्रैफिक कैमरा आपको रिकॉर्ड करता है. फर्क बस इतना है कि आपको इस बारे में पता नहीं होता कि आपको रिकॉर्ड किया जा रहा है.

इंटरव्यू: आंद्रे लेस्ली/आरआर

संपादन: ईशा भाटिया