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समाज

दूध न पीने पर बच्ची को घर से निकाला, मौत

शोभा शमी
२३ अक्टूबर २०१७

एक 3 साल की बच्ची को उसके पिता ने दूध न पीने पर, दो हफ्ते पहले आधी रात को सजा के तौर पर घर से बाहर निकाल दिया. उस रात से लापता बच्ची का अब शव मिला है.

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Screenshot twitter.com/ShannonMFox4
तस्वीर: twitter/ShannonMFox4

अमेरिका के डैलस शहर में पुलिस को एक तीन साल की बच्ची का शव मिला है. स्थानीय पुलिस के मुताबिक यह शव भारत की शेरीन मैथ्यू का है. दो हफ्ते पहले शेरीन के सौतेले पिता वस्ले ने उसे दूध न पीने पर सजा के तौर पर रात के 3 बजे घर से बाहर निकाल दिया था. तीन साल की बच्ची शेरीन तब से लापता थी.

अब डैलस की पुलिस ने बताया है कि उन्हें एक तीन साल की बच्ची का शव मिला है. संभावना है कि यह शव शेरीन का हो. अब तक शव की पहचान नहीं की जा सकी है. पुलिस का कहना है कि इस मामले के अलावा हमें और किसी बच्चे के लापता होने की शिकायत नहीं मिली थी. इसके अलावा यह शव शेरिन के घर से आधा किलोमीटर दूर से बरामद हुआ है. पुलिस का मानना है कि फिलहाल ऐसा कोई कारण नजर नहीं आता जिससे यह माना जाये कि यह शव शेरिन का नहीं है. मेडिकल की जांच के बाद यह सामने आ जायेगा कि यह शव शेरिन का है या नहीं.

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हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक तीन साल की शेरिन पूरी तरह से बोल और सुन नहीं सकती थी. शेरिन के पिता ने अपने बयान में पुलिस को बताया कि उसने बच्ची को घर के नजदीक एक पेड़ के पास खड़े रहने को कहा था. उसने यह भी स्वीकार किया कि घर के बाहर उस हिस्से में रात को भेड़िये घूमते देखे गये हैं. उसने कहा कि वह 15 मिनट बाद बच्ची को देखने लौटा, लेकिन वह वहां नहीं थी. पुलिस के मुताबिक उसने अगली सुबह 8 बजे तक बच्ची के गुम होने की शिकायत दर्ज नहीं कराई थी.

घटना के बाद शेरीन को गोद लेने वाले वेस्ले मैथ्यू (37) को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था. बाद में उसे ढाई लाख डॉलर के बॉन्ड चुकाने के बाद जमानत मिल गयी थी.

हफिंगटन पोस्ट के मुताबिक भारत में पैदा हुई सरस्वती के पैदा होने के बाद ही उसके मां-पिता उसे झाड़ियों में छोड़ कर चले गये थे. नालंदा शहर के एक एनजीओ मदर टेरेसा अनाथ सेवा संस्थान ने बच्ची की जान बचाई और 2.5 साल की उम्र तक उसको पाला था. एनजीओ की मैनेजर बबीता ने न्यूज18 को बताया, "वह दो साल की थी जब पिछले साल 23 जून को एक एनआरआई दंपति ने एक छोटे से कार्यक्रम के दौरान उसे गोद लिया था. इस दौरान सारी कानूनी प्रकिया पूरी की गयी थी और दंपति को सरस्वती सौंपा दिया गया था." बबीता ने सरस्वती को याद करते हुए कहा कि बाद में बच्ची का नाम बदल कर शेरीन रखा गया था. उन्होंने कहा, "वह एक सुंदर सी बच्ची थी, जो सारे समय मुस्कुराती रहती थी."

 

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