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दो लाख अफगान पाकिस्तान छोड़ वतन लौटे

४ अक्टूबर २०१६

पाकिस्तान में रहने वाले दो लाख से ज्यादा अफगान शरणार्थी इस साल अपने वतन लौट गए. इनमें से लगभग आधे लोगों ने तो सितंबर महीने ही पाकिस्तान को छोड़ा है.

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तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/M. Sajjad

संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थी एजेंसी यूएनएचसीआर का कहना है कि 2002 में तालिबान को सत्ता से बेदखल किए जाने के बाद से यह अफगानिस्तान लौटने वाले लोगों की सबसे बड़ी संख्या है. इतनी बड़ी संख्या में अफगान शरणार्थियों की वापसी की वजह पाकिस्तान सरकार की तरफ की गई सख्ती बताई जा रही है. जून में पाकिस्तान सरकार ने अफगानिस्तान से लगनी वाली अपनी सीमा पर कई तरह की पाबंदियां लगाई हैं और पाकिस्तान में बिना दस्तावेज रह रहे अफगानों की धरपकड़ भी तेज हुई है.

इस्लामाबाद में यूएनएचसीआर के प्रवक्ता कैसर खान अफरीदी ने बताया कि जुलाई के बाद से एक लाख 85 हजार से ज्यादा लोग अफगानिस्तान लौटे हैं जबकि अकेले सितंबर में 98 हजार लोगों ने वतन वापसी की है. वह कहते हैं, "जुलाई से अब तक अपनी मर्जी से अफगानिस्तान जाने वाले लोगों की संख्या दो लाख को पार कर गई है." रोजाना बड़ी तादाद में अफगान लोग पाकिस्तान को छोड़ रहे हैं. आधिकारियों का कहना है कि अक्टूबर महीने के पहले चार दिन में हर दिन लगभग पांच हजार अफगान स्वदेश जा रहे हैं.

मानवाधिकार संस्था एमनेस्टी इंटरनेशनल ने मंगलवार को बताया कि पाकिस्तान में 16 लाख शरणार्थी रहते हैं. पाकिस्तान शरणार्थियों को अपने यहां जगह देने वाले दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा देश है. लेकिन यूएनएचसीआर का कहना है कि जुलाई के बाद अब इन शरणार्थियों का आंकड़ा बदलकर 14 लाख कर देना चाहिए. यूएन की एजेंसी का अनुमान है कि इनके अलावा पाकिस्तान में 10 शरणार्थी तो बिना दस्तावेज ही रह रहे हैं. पाकिस्तान 2009 के बाद से अफगान शरणार्थियों की वापसी की समयसीमा को लगातार बढ़ाता आया है, लेकिन मार्च 2017 की समयसीमा को आखिरी माना जा रहा है.

पाकिस्तान सरकार का कहना है कि सीमा पर सख्ती की वजह से ज्यादा से ज्यादा लोग अफगानिस्तान लौट रहे है. हालांकि यूएनएचसीआर इसके लिए अन्य वजहों को भी जिम्मेदार बताती है. इनमें यूएनएचसीआर की तरफ से अपनी मर्जी से स्वदेश जाने वाले लोगों प्रति व्यक्ति नकद राशि 200 डॉलर से 400 डॉलर किया जाना भी शामिल है.

इसके अलावा अफगान सरकार ने अपने नागरिकों को आकर्षित करने के लिए "मेरा देश, सुंदर देश" मुहिम भी चलाई है. लेकिन तीन दशक से जारी युद्ध के कारण जर्जर अफगानिस्तान में अधिकारियों का कहना है कि बेघर लोगों की बढ़ती संख्या से निपटने सरकार और सरकारी एजेंसियों के लिए चुनौती बन रहा है.

रिपोर्ट: एके/वीके (एएफपी)