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मंथन 63 में खास

२० नवम्बर २०१३

साइंस के खास टीवी शो मंथन में इस बार जानिए चार्ल्स डार्विन के खोजे गालापागोस द्वीपों के बारे में. साथ ही बताएंगे आपको कि कहां होते हैं किंग कॉन्ग जैसे 250 किलो के गोरिल्ला. और भी बहुत कुछ..

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तस्वीर: Reisedoktor/Wikipedia

1831 में जब चार्ल्स डार्विन इंग्लैंड छोड़ कर समुद्री यात्रा पर निकले तब उनकी उम्र महज बीस साल थी. जहाज बीगल से वह प्रशांत महासागर के गालापागोस द्वीपों पर पहुंचे. यहां उन्होंने कई तरह के पौधों और जानवरों को समझने की कोशिश की. कई सैम्पल्स वह अपने साथ भी ले कर गए. कुछ तीन दशक बाद इन्हीं की मदद से उन्होंने किताब 'द ओरिजिन ऑफ स्पीशीस' लिखी जिससे दुनिया को 'थ्योरी ऑफ एवोल्यूशन' के बारे में पता चला. आज भी यह द्वीप जीव विज्ञानियों के लिए दिलचस्प हैं. मंथन की खास रिपोर्ट में हम आपको दिखाएंगे कि कैसे यहां के कछुओं पर खतरा मंडरा रहा है लुप्त होने का.

250 किलो के गोरिल्ला

गालापागोस से ले चलेंगे आपको कांगो जहां के जंगलों में इतने बड़े बड़े गोरिल्ला पाए जाते हैं जिनका वजन 250 किलो तक होता है. यहां के लोग इन्हें किंगो कहते हैं. फिल्म किंग कॉन्ग में बड़े से गोरिल्ला का किरदार भी दरअसल इन्हीं किंगो से प्रेरित था. फिल्म में तो केवल एक ही गोरिल्ला था, पर कांगो के जंगलों में ऐसे करीब एक लाख किंगो मौजूद हैं. परेशान करने वाली बात यह है कि 2030 तक इनमें से 90 फीसदी खत्म हो चुके होंगे. मंथन की यह रिपोर्ट इन विशाल किंगो से आपका परिचय कराएगी.

कीड़ों से इम्यूनिटी

माना जाता है कि कीड़ों का इम्यून सिस्टम बहुत अच्छा होता है. कीचड़, दलदल, कूड़े और इतनी गंदगी में रहने के बावजूद भी बैक्टीरिया, वायरस, फंगस, उन पर असर नहीं कर पाते. ऐसा इसलिए क्योंकि उनके शरीर में कुछ खास पेप्टाइड होते हैं जो इन कीटाणुओं का सामना कर लेते हैं. अगर यही पेप्टाइड इंसानों के शरीर में भी शामिल हो जाएं, तो हम भी आसानी से कीटाणुओं के हमले से बच सकेंगे. क्या कीड़े बीमारियों के लिए नई दवाएं बनाने में मदद कर सकते हैं. गुबरैला, कैटरपिलर और बरिइंग बीटल जैसे कीड़ों से इंसान क्या सीख सकता है, जानिए मंथन की इस रिपोर्ट में.

मोबाइल फोन और ऐप्स

30 साल पहले तार वाले टेलीफोन को हिला देने वाली क्रांति हुई. मोटोरोला ने कोई 800 ग्राम का पहला मोबाइल फोन बाजार में उतारा. आज भले ही हजार दो हजार में मोबाइल फोन मिल जाते हों, पर 1983 में इसकी कीमत थी 4,000 डॉलर, उस वक्त के हिसाब से 40,000 रुपये. तब से अब तक फोन की दुनिया में कैसे बदलाव हो चुके हैं और आने वाले समय में कैसे चश्मों और घड़ियों में भी स्मार्टफोन की ही तरह ऐप हुआ करेंगे, यह सारी जानकारी आपको मंथन में मिलेगी.

साथ ही बताएंगे आपको एक ऐसे ऐप के बारे में जो आपकी कार में आपका फेवरेट म्यूजिक चला सकता है. म्यूजिक स्ट्रीमिंग ऐप ऑपेयो में 150 अलग अलग म्यूजिक प्रोग्राम हैं और इसके सर्वर पर आठ लाख गाने हैं. वर्ल्ड म्यूजिक का भी एक सेक्शन है, जिसमें भारतीय संगीत भी है. ऑपेयो के बारे में जानिए विस्तार से मंथन में शनिवार सुबह 10.30 बजे डीडी नेशनल पर.

आईबी/एएम

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