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अतंरिक्ष से आती आफत

२० मार्च २०१३

आशंका है कि अंतरिक्ष से तेजी से धरती की ओर आ रहा यह उल्का पिंड भारी तबाही मचा सकता है. अमेरिकी अतंरिक्ष एजेंसी नासा के प्रमुख ने चिंता जताई है और कहा है कि ये धरती से न टकराए, इसके लिए हमें प्रार्थना करनी चाहिए.

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तस्वीर: NASA/Science dpa

तबाही की आशंका है, लेकिन उसे रोकने का हल किसी को पता नहीं. नासा प्रमुख चार्ल्स बोल्डन से जब यह पूछा गया कि इस खतरे से कैसे निपटा जा सकता है, तो उन्होंने जवाब दिया कि प्रार्थना कीजिए. नासा के मुताबिक उल्का पिंड न्यूयॉर्क सिटी की तरफ बढ़ रहा है. उल्का पिंड के रास्ते पर लगातार नजर रखी जा रही है. बोल्डन कहते हैं, "अब तक हमारे पास जो जानकारी है उसके हिसाब से हमें नहीं पता है कि यह उल्का पिंड अमेरिका की आबादी को खतरे में डालेगा या नहीं. लेकिन अगर यह तीन हफ्ते के भीतर आ रहा है तो प्रार्थना कीजिए."

धरती के आस पास भटकते एक किलोमीटर या उससे बड़े व्यास वाले 95 फीसदी पिंडों पर नासा निगाह रखती है. इस आकार का एक बड़ा उल्का पिंड अगर धरती से टकराए तो क्या होगा? अमेरिकी राष्ट्रपति कार्यालय के विज्ञान सलाहकार जॉन होल्ड्रेन ने सासंदों से कहा, "एक किलोमीटर या फिर उससे बड़ा, इस आकार का एक उल्का पिंड धरती पर सभ्यता को खत्म कर सकता है."

लेकिन 50 मीटर व्यास वाले उल्का पिंडों की संख्या बहुत कम है. अनुमान है कि 10,000 उल्का पिंडों में से इतने बड़े सिर्फ 10 फीसदी होते हैं. औसत के हिसाब से देखा जाए तो बड़े आकार का उल्का पिंड हर 1,000 साल में पृथ्वी से टकराता है.

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घर्षण से जलता उल्का पिंडतस्वीर: Nasa/Getty Images

खतरे की आशंका को देखते हुए नासा ने निगरानी बढ़ा दी है. अन्य देशों की अंतरिक्ष एजेंसियों के साथ मिलकर उल्का पिंड का रास्ता बदलने के बारे में भी विचार किया जा रहा है. रास्ता बदलने से उल्का पिंड को धरती से टकराने से रोका जा सकेगा. होल्ड्रेन के मुताबिक, "धरती के आस पास मौजूद उल्का पिंडो की वजह से भारी नुकसान और ढांचे की तबाही की संभावना बहुत कम होती है, लेकिन ऐसे मामलों के असर की संभवाना इतनी विशाल होती हैं कि ऐसे जोखिमों को गंभीरता से लेना पड़ता है."

खगोलशास्त्रियों का मानना है कि 6.6 करोड़ साल पहले 10 किलोमीटर व्यास का एक उल्का पिंड धरती से टकराया था. पिंड मेक्सिको के युकाटन प्रायद्वीप से टकराया. माना जाता है कि टक्कर की वजह से पूरी धरती थर्रा उठी और एक झटके में विशालकाय डायनासोर खत्म हो गए. उस वक्त धरती पर मौजूद ज्यादातर पौधे और जीव-जंतु भी उस टक्कर की भेंट चढ़ गए.

पिछले महीने एक उल्का पिंड 54,000 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से धरती के वायुमंडल में घुसा. वायुमंडल के संघर्ष की वजह से उल्का पिंड जलने लगा. रूस के बड़े इलाके में इस चमक को देखा गया. ताप और घर्षण की वजह से 17 मीटर व्यास वाले पिंड के कुछ टुकड़े रूस के यूराल पर्वत पर गिरे. इसकी वजह से रूस में 1,000 से ज्यादा लोग घायल हुए और करीब 3.30 करोड़ डॉलर का नुकसान हुआ. खगोलशास्त्रियों के मुताबिक 1908 के बाद पहली बार 15 फरवरी 2013 को कोई उल्का पिंड धरती की कक्षा में घुसा.

ओएसजे/एमजे (रॉयटर्स)

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