1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

धूमकेतु पर उतरा रिसर्च रोबोट फीले

१२ नवम्बर २०१४

अंतरिक्ष में प्रीमियर. दस साल 8 महीने दस दिन की अंतरिक्ष की यात्रा के बाद मिनी लैब फीले बुधवार शाम धूमकेतु पर उतरा. सुबह में फीले नाम का रोबोट धूमकेतु के चक्कर काट रहे यान रोजेटा से अलग होकर धूमकेतु की ओर बढ़ा था.

https://p.dw.com/p/1Dlk3
तस्वीर: ESA via Getty Images

यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी ईएसए ने फीले के चुर्युमोव गेरासिमेंको कॉमेट पर उतरने की घटना को ऐतिहासिक बताया है. ईएसए के जर्मनी के डार्मश्टाट स्थित केंद्र ने बुधवार को फीले के रोजेटा से सफलतापूर्वक अलग होने की सूचना दी थी. कुछ विशेषज्ञ इसकी तुलना 1969 में चांद पर इंसान के उतरने की घटना से कर रहे हैं. धूमकेतु की सतह के समतल न होने के कारण रोबोट की लैंडिंग कठिन मानी जा रही है.

ऐतिहासिक मिशन

मिशन की सफलता के बाद अंतरिक्ष यात्रा के इतिहास में यह पहला मौका है जब इंसान द्वारा निर्मित कोई मशीन किसी धूमकेतु पर उतरी है. दस साल की यात्रा के बाद फीले को ले जा रहा रोजेटा यान 6 अगस्त को धूमकेतु के निकट पहुंचा था. तब से वह चुर्युमोव गेरासिमेंको धूमकेतु की कक्षा में चक्कर काट रहा था. बुधवार शाम रिसर्च रोबोट हार्पून की मदद से वह अगिल्किया नाम के लैंडिंग स्टेशन पर उतरा.

Rosetta Team ESOC
रोजेटा टीमतस्वीर: ESA/J.Mai

फीले को इस तरह प्रोग्राम किया गया था कि वह धूमकेतु पर उतरते ही पहली तस्वीर खींचे. योजनानुसार लैंडिंग स्टेशन पर उतरते ही फीले ने दो भाले जमीन में गाड़े ताकि वह स्थिर हो सके. इस समय रोजेटा धरती से 51 करोड़ किलोमीटर की दूरी पर है. उसे 2004 में फ्रेंच गायना के अंतरिक्ष केंद्र कूरू से आरियान 5 रॉकेट की मदद से भेजा गया था. रोजेटा मिशन के साथ वैज्ञानिक सौर पद्धति के बनने के बारे में जानने के लिए डाटा जमा करना चाहते हैं. धूमकेतु पर अभी भी उस समय के तत्व हैं. वैज्ञानिकों को जीवन की शुरुआत के बारे में जानकारी पाने की उम्मीद है.

कहां से आए ये नाम

अंतरिक्ष यान का नाम स्टोन ऑफ रोजेटा से लिया गया है. यह पत्थर लंदन के ब्रिटिश म्यूजियम में रखा गया है. उस पर लिखित अक्षरों से प्राचीन मिस्र की हीरोग्लिफ लिपि का पता चला था. धूमकेतु चुर्युमोव गेरासिमेंको पर उतरने वाले रोबोट फीले का नाम नील नदी के फीले द्वीप से लिया गया है. यहां एक चौकोर स्तंभ मिला था जिस पर ग्रीक और हीरोग्लिफ लिपि में क्लियोपैट्रा और प्टोलेमेउस का नाम लिखा था. इसी की वजह से हीरोग्लिफ लिपि का पता करने में मदद मिली. अब फीले सौरमंडल के इतिहास का पता करने में मानवजाति की मदद करेगा.

धूमकेतु पर उतरने की जगह का नाम अगिल्किया रखा गया है. यह नाम भी नील के ही एक द्वीप से लिया गया है. वह 1980 से फीले के मंदिर की नई जगह है. पहले यह मंदिर फीले द्वीप पर था, लेकिन नदी पर बैराज के निर्माण के बाद यह जगह पानी से भर गया. इस नाम का चयन एक निर्णायक मंडल ने लोगों द्वारा भेजे गए 8,300 प्रस्तावों में से किया था. पहले इस जगब का नाम सिर्फ जे रखा गया था.

एमजे/ओएसजे (डीपीए, एएफपी)