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नए दौर की गुलामी बड़ी चुनौती

३ दिसम्बर २०१५

सुनने में गुलामी बीते समय की बात लगती हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि बंधुआ मजदूरी और सेक्स के लिए तस्करी के अलावा आईएस और बोको हराम जैसे संगठन आधुनिक दौर की भयानक गुलामी को बढ़ावा दे रहे हैं.

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तस्वीर: DW/B. Das

साल 2014 के ग्लोबल स्लेव इंडेक्स के मुताबिक भारत को दुनिया का 'स्लेव कैपिटल' बताया गया था. इंडेक्स के मुताबिक दुनिया भर में आधुनिक गुलामी झेल रहे 3.58 करोड़ लोगों में से 2.35 करोड़ एशिया में हैं. और केवल भारत में ही 1.42 करोड़ लोग गुलामी के शिकार हैं. आधुनिक गुलामी का शिकार घरों में काम करने वाले भी हो सकते हैं या फिर फैक्ट्रियों में कम आय पर शोषण का शिकार लोग.

आधुनिक गुलामी का मतलब है किसी एक व्यक्ति का दूसरे को अपने निजी फायदे या उसके शोषण के इरादे से नियंत्रित कर उसकी आजादी को सीमित करना. भारत में ईंटों के भट्टे हों, कालीन के कारखाने, बुनाई सिलाई की फैक्ट्रियां, खेतों पर बंधुआ मजदूरी, घरेलू कामगार या फिर जबरन यौनकर्म के काम. ये सभी आधुनिक गुलामी के सबूत हैं. अक्सर महिलाओं और बच्चों को अच्छी नौकरियों का लालच देकर उनके गांव या शहर से बाहर ले जाकर उन्हें बेच दिया जाता है.

गुलामी को बढ़ावा दे रहे कट्टरपंथी

संयुक्त राष्ट्र थिंक टैंक एंटी के मुताबिक बोको हराम और आईएस के लड़ाके आधुनिक काल में गुलामी के विस्तार को बढ़ा रहे हैं. इनसे लड़ने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय को एकजुट होना होगा. नाइजीरिया में बोको हराम और इराक और सीरिया में आईएस के लड़ाके लड़कियों को सेक्स बंधक बना रहे हैं. बाजारों में महिलाओं और बच्चों को बेचा जाना आम होता जा रहा है. नि:संदेह कमजोरों को गुलाम बनाना उनकी नीति का अहम हिस्सा है.

संयुक्त राष्ट्र थिंक टैंक और फ्रीडम फंड नाम की निजी संस्था की संयुक्त रिपोर्ट में कहा गया है, "गुलामी इसलिए मौजूद है क्योंकि हम इसे मौजूद रहने देते हैं." दोनों संगठनों का मानना है कि आधुनिक गुलामी से जूझ रहे करोड़ों लोगों की आजादी के लिए लड़ाई बहुत बिखरी हुई और बगैर जुड़ाव की है. देशों को चाहिए कि वे बंधुआ मजदूरी, सेक्स ट्रैफिकिंग और अन्य प्रकार की गुलामी के खिलाफ मुकदमों को बढ़ावा दें.

गुलामी और ट्रैफिकिंग लाखों कमजोर लोगों को अपनी चपेट में ले रही है. ग्लोबल स्लेवरी इंडेक्स 2014 के मुताबिक दुनिया के 32 देश आधुनिक गुलामी की चपेट में हैं. अमेरिकी विदेश मंत्रालय के मुताबिक दुनिया भर में मानव तस्करी और सेक्स के लिए इंसानों की तस्करी के करीब नौ हजार मामले सालाना कोर्ट में होते हैं. हालांकि कंपनियों पर लगातार दबाव है लेकिन सजा के मामले बहुत कम सामने आते हैं.

एसएफ/एमजे (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन)