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नकाबपोश लुटेरों जैसे चेहरे वाला डायनासोर

२८ अक्टूबर २०१७

कुत्ते के आकार का लंबे बालों वाला एक डायनासोर 13 करोड़ साल पहले चीन में घूमा करता था उसकी आंखों के चारों ओर ऐसी धारियां थी जैसे किसी नकाबपोश लुटेरे की नकाब हो. वैज्ञानिकों को इसके जीवाश्म मिले हैं.

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DinosauierSinosauropteryx
तस्वीर: Imago/StockTrek Images

वैज्ञानिकों ने बताया है कि साइनोसॉरोप्टेरिक्स नाम के इस जीव के जीवाश्मों के अध्ययन से पता चला है कि यह जीव अपने इस नकाब जैसी रेखाओं, हल्के रंग के पेट, गहरे रंग की पीठ और धारीदार पूंछों से छलावा देने में माहिर था. इसके रंगों का जो स्वरूप दिखा है उससे रिसर्चरों ने अंदाजा लगाया है कि यह जंगलों की बजाय सावन्ना के खुले मैदानों में रहता था. ब्रिटेन की ब्रिस्टल यूनिवर्सिटी में जीवाश्मिकी से जुड़े वैज्ञानिक फियान स्मिथविक कहते हैं, "यह एक हैरान करने वाली खोज है."

वैज्ञानिकों का मानना है कि साइनोसॉरोप्टेरिक्स को इस विशेष गुण की वजह से कई फायदे होते थे. स्मिथविक ने बताया कि डायनासोर का वंशज मानी जाने वाली चिड़ियों में इस तरह के नकाब वाली धारियों से आंखों को छिपाने में मदद मिलती है. शिकारी पक्षी और शिकार एक दूसरे से छिपने के लिए इसका प्रयोग करते हैं क्योंकि आंखों को देख कर उन्हें दूसरे की मौजूदगी का पता चलता है. 

स्मिथविक कहते हैं, "जिस तरह के रंगों के स्वरूप का हमें पता चला है वह आधुनिक जीवों में छद्म रूप धारण करने से जुड़े हैं. इसलिए यह मुमकिन है कि साइनोसॉरोप्टेरिक्स पर भी इसी तरह शिकार करने का दबाव रहता होगा और उसे अपने ही शिकार से खुद को छिपाना पड़ता होगा. यह शिकार करने वाले और शिकार दोनों के लिए हो सकता है."

साइनोसॉरोप्टेरिक्स का आकार करीब एक मीटर लंबा होता था. दो पैरों वाले इस जीव की बांहें छोटी होती थीं, और अंगूठे बड़े. इसके साथ ही इसकी पूंछ भी लंबी थी. इसके पूरे शरीर पर तंतुओं की तरह रोएं थे. इससे पहले के रिसर्च से संकेत मिला था कि इसके रोएंदार त्वचा का रंग भूरा लाल था. इसके दांत छोटे मगर तीखे थे और यह छिपकिली जैसे छोटे जीवों को खाता था.

वैज्ञानिकों ने हाल के वर्षों में डायनासोर के जीवाश्म से रंगों के स्वरूप और उनके रोओं को पहचानने में कामयाबी हासिल कर ली है और इसके जरिये इन लुप्त हो चुके जीवों को समझने में काफी मदद मिली है. साइनोसॉरोप्टेरिक्स के शरीर में छद्म आवरण धारण करने का जो गुण था उसे काउंटरशेडिंग कहते हैं, इसके जरिये जीव अपने आसपास की पृष्ठभूमि में छिपने में कामयाब हो जाते हैं.

एनआर/एमजे (रॉयटर्स)