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नक्सल-विरोधी मुहिम तेज़ होगी

७ अप्रैल २०१०

दंतेवाड़ा के माओवादी हमले में 76 जवानों की मौत के बाद सरकार के पास नक्सल विरोधी मुहिम को तेज करने के सिवा कोई विकल्प नहीं दिखता. इस बीच गृहमंत्री चिदंबरम वायुसेना के इस्तेमाल के बारे में भी सोच रहे हैं.

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माओवादी हमले में घायल सीआरपीएफ़ जवानतस्वीर: AP

बुधवार को बस्तर ज़िले के मुख्यालय जगदलपूर में भारतीय गृहमंत्री पी चिदंबरम ने शहीदों के एक समारोह में सीआरपीएफ़ के उन 76 जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित की, जो मंगलवार को माओवादी विद्रोहियों के साथ अब तक के सबसे ख़ूनी संघर्ष में मारे गए थे. उनके साथ छत्तीसगढ़ के मुख्य मंत्री रमन सिंह और गवर्नर शेखर दत्त भी मौजूद थे. चिदंबरम ने कहा कि नक्सलवादियों के ख़िलाफ़ सेना के प्रयोग का कोई प्रस्ताव नहीं है, लेकिन साथ ही उन्होंने स्पष्ट किया कि वायु सेना का इस्तेमाल न करने के केंद्रीय सरकार के निर्णय पर फिर से विचार किया जाएगा.

इस बीच वायुसेना के प्रमुख एअर चीफ़ मार्शल पी वी नाइक ने कहा है कि सेना को अधिकतम मारक क्षमता के लिए प्रशिक्षित किया जाता है, उन्हें सीमित मारक क्षमता का प्रशिक्षण नहीं मिलता है. वे जिन अस्त्रों का प्रयोग करते हैं, वे सीमा से बाहर के दुश्मनों के लिए होते हैं. इसलिए वे नक्सल समस्या से निपटने के लिए वायुसेना के इस्तेमाल के पक्ष में नहीं हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि इस सिलसिले में निर्णय लेना सरकार का काम है.

माओवाद की समस्या के बारे में हमने वाराणसी के गांधियन इंस्टीट्युट ऑफ़ स्टडीज़ के डाइरेक्टर प्रो. दीपक मलिक से बात की. उनकी संस्था ने कुछ समय पहले माओवादियों के साथ बातचीत में मध्यस्थता का प्रस्ताव किया था. उनका कहना है कि माओवादियों के इस हमले के बाद, जिसमें 76 जवान मारे गए हैं, मध्यस्थता की संभावना कम होती जा रही है..

रिपोर्ट: एजेंसियां/उभ

संपादन: महेश झा