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नगा छात्रों ने हाईवे की नाकेबंदी हटाई

१५ जून २०१०

मणिपुर में हाईवे पर एक महीने से जाम लगाकर बैठे नगा छात्रों ने रास्ता खोल दिया है. सरकार के मणिपुर में फौज भेजने की धमकी के बाद छात्रों ने नाकेबंदी को फिलहाल स्थगित कर दिया है. यह हाईवे मणिपुर की अर्थव्यवस्था चलाता है.

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तस्वीर: AP

नगा स्टूडेंट फेडरेशन यानी एनएसएफ ने कोहिमा में हुई एक बैठक के बाद रास्ता खोलने का फैसला लिया. इससे पहले नगा छात्रों के एक समूह ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मिलकर अपनी मांगें रखी. एनएसएफ ने कोहिमा में जारी एक बयान में कहा है कि मणिपुर को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ने वाली एनएच 39 और एनएच 53 पर से वे अपना घेरा खत्म कर रहे हैं. यह फैसला कई लोगों, संगठनों और खुद प्रधानमंत्री की अपील पर किया जा रहा है.

Premierminister Manmohan Singh
तस्वीर: Fotoagentur UNI

दिल्ली में एनएसएफ के सलाहकार एक्युमबेमो किकॉन पत्रकारों से कहा "प्रधानमंत्री की साथ हमारी मुलाकात अच्छी रही हमने उनके सामने अपनी मांगे रख दी हैं. उन्होंने हमारी बातें सुनी और समस्याओं के जल्दी समाधान का वादा किया.

उन्होंने युवा छात्रों से राज्य में शान्ति बनाए रखने और समस्याओं को सुलझाने की बात कही है."प्रधानमंत्री से मुलाकात करने वाले एनएसएफ के पांच सदस्यों वाले दल में किकॉन भी थे और उन्होंने कहा कि वह मनमोहन सिंह के आश्वासन से प्रभावित हुए हैं.

हालांकि किकॉन ने यह भी कहा कि अगर एनएसएफ की मांगें नहीं मानी गईं तो आंदोलन फिर शुरू हो सकता है. इन मांगों में मणिपुर से सेना को हटाने की भी बात है. इससे पहले गृह सचिव जीके पिल्लई ने कहा कि केंद्र सरकार मणिपुर में और सेना भेजने का फैसला किया है.

गृह मंत्रालय ने नाकेबंदी हटाने में सरकार की मदद के लिए मणिपुर में अर्द्धसैनिक बलों की 16 कंपनियों भेजने का फैसला किया था. नाकेबंदी की वजह से मणिपुर में जरूरी चीजों की भारी कमी हो गई यहां तक कि बच्चों का दूध और जीवन रक्षक दवाओं की भी किल्लत है. एनएसएफ ने हाईवे जाम करने का फैसला छह स्वतंत्र जिलों में चुनाव कराने के विरोध में किया था. उनका आरोप है कि इन जिलों को विकास के कामों के लिए जरूरी अधिकार नहीं दिए गए.

यह नाकेबंदी 11 अप्रैल से ही चल रही थी. 3 मई को अलगाववादी संगठन एनएससीएन के महासचिव टी मुईवा को मणिपुर में उनके गांव जाने की इजाजत नहीं दी गई तो इसे और ज्यादा सख़्त कर दिया गया.

रिपोर्ट: पीटीआई/ एन रंजन

संपादन: एस गौड़