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नए खून से बढ़ेगी याददाश्त

५ मई २०१४

शोधकर्ताओं का कहना है कि नया खून कमजोर होते मस्तिष्क के इलाज का जरिया बन सकता है. एक शोध के मुताबिक कम उम्र के चूहे के खून को जब बूढ़े चूहों में चढ़ाया गया तो उनके सीखने और याददाश्त में इजाफा हुआ.

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तस्वीर: Fotolia/luchshen

18 महीने के चूहे में जब तीन महीने के चूहे का खून बार बार चढ़ाया गया तो बूढ़े चूहे की मस्तिष्क संरचना और कार्य में सुधार दिखाई दिए. 3 महीने का चूहा 20 से 30 साल के मनुष्य और 18 महीने आयु वाला चूहा 56 से 69 वर्षीय मनुष्य के बराबर होता है. नेचर मेडिसिन पत्रिका में यह शोध छपा. इस शोध की सह लेखक और कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के मेडिसिन स्कूल की साउल विलेडा के मुताबिक, "मुझे ऐसा लगता है कि निश्चित रूप से नए खून में कुछ खास है जो बढ़ती उम्र के पहलू को बेहतर कर सकता है."

नया खून चढ़ाने के पहले और बाद में बूढ़े चूहों का परीक्षण किया गया. इस परीक्षण के जरिए शोधकर्ता यह जानना चाहते थे कि उनकी स्मरण शक्ति में किस तरह का बदलाव आया है. शोधकर्ताओं ने दोनों नतीजों की तुलना की. एक परीक्षण उनकी याददाश्त की क्षमता आंकने के लिए किया गया. जिसमें यह जानने की कोशिश की गई कि वह पानी के भीतर छिपे प्लेटफॉर्म की स्थिति का संकेत याद रख पाते हैं या नहीं. यह उसी तरह से है जैसे आप पार्किंग में अपनी कार को छोड़ने के बाद उसकी स्थिति जानने के लिए कोई निशानी याद रखते हैं. यह वह काम है जिसमें बढ़ती उम्र के साथ गड़बड़ी शुरू हो जाती है. विलेडा के मुताबिक, "जिन बूढ़े चूहों में नए प्लाजमा चढ़ाए गए थे वह छिपे हुए प्लेटफॉर्म को आसानी से खोज पाए." रिसर्च टीम ने मस्तिष्क की संरचना में भी बदलाव पाया. उन स्थानों की संख्या में भी बढ़ोत्तरी हुई जहां न्यूरॉन्स संपर्क स्थापित करते हैं. यह साफ नहीं हो पाया है कि यह फायदा कितनी देर तक रहता है.

घर पर कोशिश न करें

शोधकर्ताओं का दावा है कि नए खून के ज्ञान पर होने वाले असर को दिखाने वाली वह पहली टीम है. हालांकि एक अन्य शोध ने यह दिखाया है कि वयस्क स्टेम सेल पर इसका जबरदस्त प्रभाव पड़ता है. विलेडा ने जोर दिया कि अगर इस शोध का विस्तार मनुष्यों पर होता है तो वह "नियंत्रित" तरीके से होना चाहिए. विलेडा कहती हैं कि उन्हें अब तक नहीं पता कि इसके लिए कितनी खुराक की जरूरत होगी.

एए/एएम (एएफपी)