नहीं चाहिए यूरोप का "डर्टी डीजल"
५ मई २०१७अफ्रीकी देशों में लचर नियमों का फायदा उठाते हुए यूरोप की दिग्गज तेल कंपनियां बेहद गंदा तेल बेचती हैं. तेल में सल्फर और दूसरे विषैले तत्वों की मात्रा बहुत ज्यादा होती है. इसी वजह से इसे "डर्टी डीजल" कहा जाता है. स्विट्जरलैंड के एक एनजीओ पब्लिक आई के मुताबिक यह गंदा ईंधन यूरोप में तैयार किया जाता है. फिर इसे ऑयल टैंकरों पर लादकर अफ्रीका पहुंचाया जाता है.
यूरोपीय स्टैंडर्ड के मुताबिक यूरोप में 10 पार्ट पर मिलियन (ppm) से ज्यादा सल्फर वाले डीजल पर प्रतिबंध है. लेकिन कुछ यूरोपीय कंपनियां अफ्रीका को नियमित रूप से 3,000 ppm बेच रही हैं. अब घाना और नाइजीरिया ने सख्त नियम बनाया है. एक जुलाई से इन दोनों देशों में 50 ppm से ज्यादा सल्फर वाला तेल नहीं बिकेगा. स्विस एनजीओ पब्लिक आई के ऑलिवर क्लासन ने डीडब्ल्यू से बातचीत में इसे अच्छा फैसला करार दिया, "नीति में बदलाव से हम खुश हैं. हमें अब भी उम्मीद है कि आइवरी कोस्ट, बेनिन, टोगो और माली जैसे पश्चिमी अफ्रीका के दूसरे देश भी इसका अनुसरण करेंगे."
तीन साल लंबी जांच में पता चला कि अफ्रीका के आठ देशों में यूरोपीय मानक से 150 गुना ज्यादा सल्फर वाला डीजल बिक रहा है. गंदे डीजल के चलते हुए प्रदूषण से बड़ी संख्या में वहां लोग बीमार भी हुए. दमा, लंग कैंसर और दिल संबंधी बीमारियां सामने आईं. पब्लिक आई की रिपोर्ट के मुताबिक अगर कम सल्फर वाले डीजल और आधुनिक पॉल्यूशन स्टैंडर्ड वाली कारें इस्तेमाल की जाएं तो 2030 तक पश्चिमी अफ्रीका में 25,000 लोगों की जिंदगी बचाई जा सकती है.
अफ्रीका में किये गए शोध के आधार पर एनजीओ ने स्विट्जरलैंड में भी अभियान छेड़ा है. ऑलिवर क्लासन के मुताबिक, "स्विट्जरलैंड में इन कंपनियों पर दबाव डाल रहे हैं जो शर्मनाक और चरणबद्ध तरीके से दोहरे मानकों का फायदा उठा रही हैं." जांच के दौरान पता चला कि अच्छी क्वालिटी का तेल बेचने के बाद जो गंदा तेल बचता है उसे अफ्रीकन क्वालिटी कहा जाता है. अच्छे और खराब तेल को मिलावट को ब्लेंडिंग कहा जाता है. अफ्रीका भेजे जाने वाले तेल की ब्लेंडिंग या तो यूरोप में होती है या रास्ते में. ब्लेंडिंग के लिए इस्तेमाल होने वाले संसाधनों में भी स्विस कंपनियों की बड़ी हिस्सेदारी है. जहाज, स्टोरेज टैंकर, पेट्रोल स्टेशन और यहां तक की पाइपलाइनों में भी स्विस कंपनियों की अच्छी खासी हिस्सेदारी है.
पश्चिमी अफ्रीका में कच्चे तेल का बड़ा भंडार है. लेकिन बेहतर रिफाइनरी न होने के कारण वहां से ज्यादातर कच्चा तेल निर्यात कर दिया जाता है. फिर उसी तेल को फिल्टर कर डर्टी डीजल के रूप में यूरोप से अफ्रीका भेजा जाता है.
(बेशर्मी की हदें पार करने वाली कंपनियां)
रिपोर्ट: रेचल स्टीवर्ट