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नाडा ने बीसीसीआई को खरी खोटी सुनाई

३ जून २०१०

क्रिकेटरों के डोप टेस्ट की जिम्मेदारी नहीं मिलने से खफा नेशनल एंटी डोपिंग एजेंसी ने बीसीसीआई को फटकार लगाते हुए असहयोगपूर्ण रवैया छोड़ने के लिए कहा. क्रिकेटरों को वाडा की शर्तों पर राजी करने के लिए बीसीसीआई पर दबाव.

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तस्वीर: AP

नाडा के महानिदेशक राहुल भटनागर ने अफसोस जताया कि क्रिकेटरों का डोप टेस्ट कराने के लिए बीसीसीआई ने स्वीडन की एक कंपनी से बात की है जबकि नाडा भी इसी काम को कम कीमत पर बिना कीमत वसूले कर सकती है.

"डोप टेस्ट कराने के लिए बीसीसीआई ने नाडा की मदद कभी नहीं मांगी. स्वीडन की कंपनी इंटरनेशनल डोपिंग एंड टेस्ट मैनेजमेंट से करार किया गया है जो डोप सैंपल के लिए मोटी फीस वसूल रही है. नाडा यह काम मुफ्त में कर सकती थी."

राहुल भटनागर ने हैरानी जताते हुए पूछा है कि आखिर किस वजह से बीसीसीआई नाडा के साथ असहयोगपूर्ण रवैया अपनाए हुए है. नेशनल एंटी डोपिंग एजेंसी (नाडा) एक नेशनल एजेंसी है जो डोप टेस्ट कराती है, नमूनों और उनके नतीजों को इकठ्ठा करती है. राहुल भटनागर के मुताबिक नाडा चाहती है कि क्रिकेटर वर्ल्ड एंटी डोपिंग एजेंसी (वाडा) के कहां हो नियम को मानें. लेकिन भारतीय क्रिकेटर वाडा की इस शर्त का विरोध कर रहे हैं.

"नाडा कड़े शब्दों में कहना चाहती है कि क्रिकेटरों को वाडा और नाडा के एंडी डोपिंग नियमों को मानना ही चाहिए जैसा कि बाकी खिलाड़ी करते हैं. वे कोई अपवाद नहीं हैं और ये नियम उन पर भी समान रूप से लागू होते हैं. "

अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) ने वाडा कोड पर हस्ताक्षर कर दिए हैं लेकिन बीसीसीआई कहां हो नियम के विरोध में खड़ी नजर आ रही है. कहां हो नियम के तहत हर खिलाड़ी को तीन महीने पहले ही डोप टेस्ट के लिए अपनी उपलब्धता के बारे में बताना होता है.

वाडा ने कुछ ही दिन पहले बीसीसीआई को अल्टीमेटम जारी किया है. बीसीसीआई से वाडा नियमों को पूरी तरह से मानने के लिए कहा गया है और ऐसा नहीं होने पर बीसीसीआई पर असहयोगी संस्था होने का ठप्पा लग सकता है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़

संपादन: उज्ज्वल भट्टाचार्य