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कोइराला बने प्रधानमंत्री

१० फ़रवरी २०१४

सोलह साल तक भारत में निर्वासित जीवन बिताने वाले सुशील कोइराला नेपाल के नए प्रधानमंत्री बन गए हैं. इसके साथ लंबा राजनीतिक गतिरोध भी खत्म हो गया.

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Sushil Koirala neuer Regierungschef in Nepal
तस्वीर: PRAKASH SINGH/AFP/Getty Images

नेपाली संसद में 553 में से 405 वोट 75 साल के कोइराला के पक्ष में पड़े. नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष कोइराला को नेपाल संगठित मार्क्सवादी लेनिनवादी कम्युनिस्ट पार्टी (यूएमएल) का समर्थन हासिल है. नेपाली कांग्रेस के पास संसद में 196 सीटें हैं, जबकि यूएमएल के पास 171 सीटें हैं. संसद की 601 सीटों में जीत के लिए सामान्य बहुमत की जरूरत है. इससे पहले गठबंधन को लेकर रविवार को लंबी बातचीत हुई.

कोइराला लगभग 60 साल से राजनीति में सक्रिय हैं और वह हमेशा कुंवारे रहे हैं. 1960 के दशक में जब नेपाली राजशाही ने राजनीतिक पार्टियों पर प्रतिबंध लगाया, तो सुशील कोइराला को भारत जाना पड़ा. वह लगभग 16 साल तक स्वनिर्वासन में भारत में रहे. वह 1991, 1994 और 1999 में संसद में चुने जा चुके हैं. नेपाल के लेखक और कोइराला पर नजदीक से नजर रखने वाले जगत नेपाल का कहना है, "सरकार बनाने में हमेशा उनकी भूमिका रहती थी लेकिन वह खुद कभी मंत्री नहीं बने."

कैंसर से उबरे

गिरिजा प्रसाद कोइराला की जीवनी लिखने वाले जगत नेपाल बताते हैं कि शायद जुबान पर कैंसर झेलने की वजह से सुशील कोइराला अच्छा भाषण नहीं दे सकते और इस वजह से वह खुद नेतृत्व करने की जगह किंगमेकर की भूमिका निभाना पसंद करते हैं, "उन्हें सरकार चलाने का अनुभव नहीं है लेकिन वही हैं, जो मुख्य निर्णय लेते रहे हैं. गिरिजा के वक्त लगभग सारे फैसले सुशील के ही थे." गिरिजा प्रसाद कोइराला की मौत के बाद सुशील कोइराला 2010 में नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष बने. राजशाही का विरोध करने की वजह से उन्हें जेल भी जाना पड़ा.

Sushil Koirala neuer Regierungschef in Nepal
लंबे वक्त से राजनीति में कोइरालातस्वीर: Reuters

सुशील नेपाल के मशहूर कोइराला परिवार के हैं, जो आधुनिक नेपाल में सबसे ज्यादा सत्ता में रहे हैं. उनके चचेरे भाई बीपी कोइराला नेपाल के पहले चुने हुए प्रधानमंत्री थे, जबकि बीपी के छोटे भाई गिरिजा प्रसाद कोइराला भी नेपाल के प्रधानमंत्री रह चुके हैं. गिरिजा कोइराला के वक्त में ही माओवादियों के साथ 2006 में शांति वार्ता पर दस्तखत किए गए. हालांकि इस दौरान देश में करीब 16000 लोगों की मौत हिंसा के कारण हो गई. इसके बाद देश से राजशाही खत्म हुई.

साफ सुथरी छवि

जगत नेपाल कहते हैं, "सुशील कोइराला कभी भी शक्तिशाली पद पर नहीं रहे क्योंकि वे विदेशी ताकतों को अपने पक्ष में करने का काम नहीं करते थे. उनकी साफ छवि ही उनकी सबसे बड़ी ताकत है."

कोइराला के प्रधानमंत्री बनने के साथ ही चीफ जस्टिस खीलाराज रेजमी का प्रशासन खत्म हो गया. उन्हें पिछले साल मार्च में नियुक्त किया गया था, ताकि वह संविधान सभा के चुनाव करा सकें. नेपाल ने 2008 में माओवादियों के साथ शांति समझौता किया, जिसके बाद देश में पहली बार संविधान सभा के चुनाव कराए गए. लेकिन बार बार समयसीमा खत्म होने के बावजूद संविधान नहीं लिखा जा सका. कोइराला का कहना है, "हम छह महीने के अंदर संविधान का खाका तैयार कर लेंगे और साल भर के अंदर नया संविधान लागू हो जाएगा. मैं आपको भरोसा दिलाना चाहता हूं कि मेरे नेतृत्व में संविधान लिखने का काम कर लिया जाएगा."

एजेए/एएम (डीपीए, एपी, रॉयटर्स)

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